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    • 9 स्थानों पर की गई छापेमारी 
    • 2 मामले नशीली दवाओं के 

    नागपुर. प्रतिबंध के बावजूद गर्भपात के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी यानि एमटीपी किट की बिक्री से मेडिकल स्टोर संचालक बाज नहीं आ रहे. नियम के अनुसार गर्भपात केवल पंजीकृत स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ द्वारा किया जा सकता है. इस वर्ष जनवरी से जुलाई के बीच 7 माह के दौरान अन्न एवं औषधि प्रशासन विभाग ने शहर में अवैध रूप से एमटीपी किट की बिक्री करने वाले 5 विक्रेताओं पर एफआईआर दर्ज कराई.

    इन विक्रेताओं ने बिना बिल के ज्यादा मूल्य पर किट की बिक्री की. जिन विक्रेताओं पर कार्रवाई की गई उनमें प्रकाश मेडिकल एंड जनरल स्टोर्स कॉटन मार्केट, धनवंतरि औषधालय दत्तवाड़ी, सचिन मेडिकल एंड जनरल स्टोर्स नीलडोह, मे. हार्दिक एंटरप्रराइजेस मेडिकल चौक और सुरगुरु मेडिकल एंड जनरल स्टोर्स चंदननगर का समावेश है. जनवरी से जुलाई के दौरान विभाग ने कुल 9 विक्रेताओं पर छापेमारी की. इनमें से 5 एमटीपी किट की बिक्री से संबंधित थी. 2 मामले नशीली दवाओं की बिक्री के थे. 

    लगानी पड़ती है फील्डिंग

    एफडीए सूत्रों के अनुसार अवैध रूप से एमटीपी किट बेचने वालों को इतनी आसानी से नहीं पकड़ा जा सकता. टिप मिलने पर कई दिनों तक दूकान पर नजर रखी जाती है. बार-बार नकली ग्राहक भेजकर किट की मांग की जाती है. संदेह में दूकानदार भी तुरंत किट नहीं देते. ग्राहक को कभी 2 दिन या 3 दिन बाद आने को कहा जाता है. मुनाफे के लालच में विक्रेता तय कीमत से ज्यादा मूल्य में और बिना बिल के किट की बिक्री करते हैं. 

    नशे की दवाओं का भी कारोबार

    कुछ दवा विक्रेता अवैध रूप से नशे की दवाइयों की बिक्री में भी लिप्त पाए गए हैं. विभाग की ओर से ऐसे 2 विक्रेताओं पर एफआईआर दर्ज की गई. बताया जाता है कि युवा और ट्रक चालक नशे के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. नियम के अनुसार इन दवाओं की बिक्री डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर और रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की उपस्थिति में ही की जा सकती है.

    एक मेडिकल स्टोर में बिना बिल के ‘कोडिन प्लांकुट’ नाम की नशे की दवा बेची जा रही थी. वहीं नीरी रोड स्थित एक मेडिकल स्टोर में तो बिना प्रिस्क्रिप्शन, बिना बिल और रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में शेड्यूल एच 1 दवा बिक्री की जा रही थी. विभाग की ओर से अचानक मारे गए छापे में इस बात का खुलासा हुआ. 

    बिना लाइसेंस भी कारोबार

    दवाओं की बिक्री और मैन्युफैक्चरिंग के लिए एफडीए से लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है. शहर में कई स्थानों पर बिना लाइसेंस के दवा बिक्री और उत्पादन किया जा रहा है. विभाग ने पिछले दिनों नरसाला में आयुर्वेदिक दवाओं का 41 लाख रुपये का जखीरा बरामद किया था. इसके लिए किसी तरह का लाइसेंस भी नहीं लिया गया था. एक दवा दूकान के पास न तो दवा बिक्री का लाइसेंस नहीं था. बावजूद वहां एलोपैथी दवाओं की बिक्री की जा रही थी. इतना ही नहीं वहां बिना किसी वैध डिग्री के एक व्यक्त डॉक्टरी की प्रैक्टिस भी कर रहा था.