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    नागपुर. नागपुर सिटी सहित जिला और भंडारा, वर्धा आदि में कोरोना मरीजों को तुरंत आपूर्ति के उद्देश्य से ऑक्सीजन सिलेंडर टैंकर के माध्यम से तुरंत उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने के निर्देश केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जिलाधिकारी और मनपा आयुक्त को दिए. गडकरी ने ऑक्सीजन बनाने वाली 4 बड़ी कम्पनियों से इस संदर्भ में चर्चा भी की. मंगलवार को मनपा के कोरोना वार रूम में गडकरी ने समीक्षा बैठक ली. मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी., जिलाधिकारी रवीन्द्र ठाकरे, विधायक समीर मेघे, स्थायी समिति सभापति प्रकाश भोयर, विधायक प्रवीण दटके, सत्तापक्ष नेता अविनाश ठाकरे, ड्रग डीलर्स एसोसिएशन और वैद्यकीय संस्थाओं के पदाधिकारी उपस्थित थे. गडकरी ने शहर की सीमा पर स्थित कैंसर अस्पताल में तुरंत 100 बेड तथा 8 दिनों में अन्य 100 बेड उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए.

    8 दिनों में अस्पतालों की क्षमता बढ़ाए मनपा  

    गडकरी ने कहा कि मनपा अपने अस्पतालों में 8 दिनों के भीतर बेड बढ़ाने का प्रयास करे. मरीजों को तुरंत सेवा उपलब्ध कराने की दृष्टि से अतिरिक्त बेड के लिए आवेदन करनेवाले निजी अस्पताल को 24 घंटे में अनुमति देने के निर्देश भी जारी किए. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होने से मरीजों की मृत्यु होने की घटनाएं उजागर हो रही है. शहर को प्रतिदिन 15 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है. अत: इसके लिए वर्धा जिले में स्थित लायड स्टील, उत्तम गलवाह कम्पनी के प्रमुखों से सम्पर्क कर ऑक्सीजन की व्यवस्था कराई है. इसी तरह भिलाई स्थित प्रैक्स एयर, भंडारा जिले के सनफ्लैग कम्पनी को भी ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए तैयार होने की जानकारी उन्होंने दी.

    युद्धस्तर पर हो रहा रेमडेसिविर का उत्पादन

    गडकरी ने कहा कि उत्तम गलवाह कम्पनी की 350 मेट्रिक टन ऑक्सीजन प्रतिदिन उत्पादन करने की क्षमता है. कम्पनी ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए तैयार है. इसके अलावा अब तक शहर को 7,150 रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराया गया है. जिन मरीजों को इसकी आवश्यकता है, उसे देने की सलाह गडकरी ने दी. उन्होंने कहा कि पुन: 7,000 रेमडेसिविर इंजेक्शन प्राप्त होंगे. जरूरतमंद मरीज को इंजेक्शन उपलब्ध हो, इसकी जिलाधिकारी ने व्यवस्था करनी चाहिए. रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन करने केवल 4 कम्पनियों के पास पेटेंट है. चारों कम्पनियों द्वारा युद्ध स्तर पर दवा तैयार की जा रही है. लेकिन आवश्यकता अनुसार आपूर्ति नहीं हो पा रही है. इसके लिए पेटेंट कानून की धारा 84 को कुछ समय के लिए शिथिल करने प्रधानमंत्री को पत्र भेजा गया है. यदि कानून में छूट दी गई तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दवा बनानेवाली कम्पनियों को भी यह दवा बनाने की अनुमति दी जा सकेगी.