Lockdown triggered public outrage - public arbitration by the arbitrariness of the authorities

  • 70 दिनों से घरों में कैद
  • 8 मई को सील हुआ था पांढराबोड़ी
  • 04 अप्रैल से सील है मोमिनपुरा

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नागपुर. सिटी में अब लॉकडाउन के खिलाफ जनता में रोष बढ़ता जा रहा है. दरअसल, लोग पिछले 70 दिनों से अपने घरों में या तो कैद हैं या फिर सारा बाजार बंद होने से उनकी जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हो रही है. जिस इलाके में एक भी मरीज मिलता है तो पूरा का पूरा 1-2 किमी का इलाका मनपा प्रशासन द्वारा सील कर दिया जा रहा है. बल्ली-टिन ठोककर सारे रास्तों व गलियों को इस तरह पैक किया जा रहा है कि बस्ती वाले बाहर झांक तक नहीं सकते. उस पर मनपा अधिकारियों की मनमानी ही नहीं, तानाशाही इतनी चल रही है कि सील किये गए परिसर में मरीजों, संशयितों की संख्या जीरो होने के बाद भी खोला नहीं जा रहा है.

पांढराबोड़ी ट्रस्ट लेआउट इसका जीता-जागता उदाहरण है. 8 मई को परिसर को एक मरीज मिलने पर सील किया गया था. नागरिकों को आश्वस्त किया गया था कि अगर दूसरा कोई मरीज नहीं मिला तो 22 मई को खोल दिया जाएगा. लेकिन परिसर को नहीं खोला गया तो नागरिकों को सड़क पर उतरकर गुस्सा दिखाना पड़ा. इतना ही नहीं, विधायकों को भी सड़क पर उतरना पड़ा लेकिन मनपा के अधिकारियों ने कोई बात नहीं सुनी. मामला सीएम तक ले जाना पड़ा और तब कहीं जाकर परिसर की 6 बस्तियों को प्रतिबंधित क्षेत्र से हटाया गया.

मनमानी से त्रस्त
सिटी में कई बस्तियां फिलहाल कई-कई दिनों से सील हैं. वहां के हजारों परिवारों को अपने घरों में ही कैद होने को मजबूर होना पड़ रहा है. सतरंजीपुरा, मोमिनपुरा तो पिछले डेढ़-दो महीनों से सील हैं. जवाहरनगर, हावरापेठ, पार्वतीनगर, खरबी, शांतिनगर, गड्डीगोदाम, हिवरीनगर, सीआरपीएफ कालोनी सहित कई इलाकों को सील किया गया है. नियमानुसार सील किए गए इलाकों में रहने वाले नागरिकों को जीवनावश्यक व रोजमर्रा की लगने वाली सामग्रियों की आपूर्ति करना अनिवार्य है लेकिन मनपा अधिकारियों ने इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया. लोगों को गेहूं पिसाने, दवा लाने, सब्जियां-दूध तक लाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. छोटे-छोटे बच्चों को उनकी जरूरत की चीजें नहीं मिल रही हैं.

आदेश दिया, पल्ला झाड़ा
मनपा अधिकारियों ने तो लॉकडाउन को हौआ बना दिया है. जहां मरीज मिला तो बिना सर्वे किए ही बड़े इलाके को सील करने का आदेश देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, बाकी की व्यवस्था पुलिस विभाग के जिम्मे. अब पुलिस सील इलाके से नागरिकों को बाहर-भीतर होने से रोकने के लिए मुस्तैदी से तैनात है. जवाहरनगर की एक गली में एक पॉजिटिव मिला था और मनपा अधिकारियों ने पूरे जवाहरनगर ही नहीं, सटी हुई कुछ बस्तियों को भी सील कर दिया जबकि पॉजिटिव मरीज का परिवार अपने पास-पड़ोस के 1-2 परिवारों के ही संपर्क में था.

जांच में उस परिवार के अलावा कोई दूसरा संक्रमित नहीं मिला तो लोगों ने परिसर को खोलने की मांग शुरू की. सुनवाई नहीं होने पर लोगों का गुस्सा भड़क उठा और वहां की नगरसेविका व विधायक को भी मनपा अधिकारियों से बात करनी पड़ी लेकिन मनमानी करने वाले अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों की भी नहीं सुनी. नागरिकों का कहना है कि जिस गली में पॉजिटिव मिला, उसके पहले व बाद की गली सील करना समझ में आता है लेकिन पूरी बस्ती सील कर लोगों के लिए जेल बना देना तो अत्याचार है.

सड़कों पर उतर रहे लोग
जिन-जिन इलाकों को सील किए हुए 14 दिन से अधिक हो गए हैं वहां के नागरिक अब बस्ती को खोलने की मांग को लेकर आंदोलन करने लगे हैं. पांढराबोड़ी में विधायक विकास ठाकरे के साथ ही परिणय फुके भी जनता के समर्थन में उतरे. वहीं पार्वतीनगर में प्रफुल गुड़धे पाटिल व अन्य जनप्रतिनिधियों को सड़क पर उतरना पड़ा. मोमिनपुरा में भी लोगों का गुस्सा भड़क रहा है. मोमिनपुरा में सारे 27 रास्तों को सील कर दिए जाने से नागरिकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अस्पताल जाने नहीं दिया जा रहा, जिसके चलते लोग सैकड़ों की संख्या में सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे. अगर मनपा अधिकारियों की ऐसी ही मनमानी चलती रही तो जनाक्रोश विस्फोटक हो सकता है.