नागपुर. नवभारत e-चर्चा में आज दोपहर 3.30 बजे मिलिए शिवसेना पार्टी के कद्दावर नेता अरविन्द सावंत से। श्री सावंत हमारे साथ कोरोना के बदलते परिदृश्य में प्रशासन और शासन में होंने वाली दिक्कतें और समाधान पर हमसे बात करेंगे। वे हमारे साथ हमारे नवभारत फेसबुक पेज ( https://www.facebook.com/enavabharat) पर भी रूबरू होंगे। आईये जानते हैं श्री अरविन्द सावंत के बारे में।
श्री अरविंद गणपत सावंत शिवसेना पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। वह 2019 में भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्री और साथ ही 2014 से लोकसभा के सदस्य थे। 11 नवंबर 2019 को, सावंत ने मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यभार, भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष के कारण छोड़ दिया। अगर हम उनके राजनीतिक जीवन को देखें तो अरविन्द जी ने 1968 में, शिवसेना के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत पार्टी पदानुक्रम के सबसे निचले रैंक ‘गट प्रमुख’ के रूप में की। इस समय के दौरान, उन्होंने पोलिंग एजेंट के रूप में काम किया और पार्टी द्वारा आयोजित विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में भी भाग लिया। उन्होंने स्थानीय ‘लोकाधिकार समिति’ में भी शामिल होकर स्थानीय जनता के लिए नौकरियों की मांग करने के लिए भी संघर्ष किया।
वर्ष 1995 में, सावंत जी ने इससे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और शिवसेना के साथ महाराष्ट्र के बड़े राजनेतिक संघर्षों में शामिल हो गए। फिर 1996 में, वह महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए चुने गए। वहां उन्होंने झुग्गी विकास से संबंधित मुद्दों को उठाया, मराठी भाषा के आधिपत्य के लिए प्रमुखता से मांग की, और मिल श्रमिकों के लिए भी आवासों के लिए अपनी आवाज उठाई। हालाँकि वह दो बार परिषद में चुने जाने में कामयाब रहे, लेकिन वे अपने तीसरे प्रयास के दौरान चुनाव हार गए क्योंकि पार्टी मुंबई नगर निगम में संख्या में कम थी। वर्ष 2010 में, उन्हें शिवसेना में उप नेता और पार्टी का आधिकारिक प्रवक्ता बनाया गया। इसी पार्टी प्रवक्ता के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने समाचार चैनल की बहसों में पार्टी का बचाव उस समय किया जब पार्टी की मुंबई में प्रवासियों पर अपनी नीतियों के चलते आलोचना से घिर गयी थी।
वर्ष 2014 के आम चुनाव में, अरविन्द सावंत मुंबई दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और उन्होंने कांग्रेस पार्टी के अपने मुख्य प्रतिद्वन्दी, मिलिंद देवड़ा को लगभग 1,20,000 मतों के अंतर से हराया। यह भी प्रासंगिक है कि लोकसभा में उनकी उपस्थिति रिकॉर्ड 90% से अधिक थी। वह उन सदस्यों में से एक थे, जिन्होंने सबसे अधिक संख्या में निजी-सदस्य बिल प्रस्तुत किए। उन्होंने एस्टीमेट कमेटी के सदस्य, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की स्थायी समिति, परामर्शदात्री समिति, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और के रूप में भी कार्य किया। 2019 के भारतीय आम चुनाव में, सावंत ने देवड़ा को 100,000 से अधिक मतों से हराया। इसके बाद, उन्हें भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्री बनाया गया।11 नवंबर 2019 को शिवसेना और भाजपा के बीच सत्ता के टकराव और मतैक्य के कारण उन्हें मोदी सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा
ऐसे ही अनुभवी और प्रभावशील नेता श्री अरविन्द सावंत से मिलिए आज दोपहर 3.30 बजे नवभारत e-चर्चा के पटल और नवभारत फेसबुक पेज ( https://www.facebook.com/enavabharat) पर। आप सबका इन्तेजार रहेगा।