MLA Krishna Khopde

  • कोरोना बन गया अब लूटमार का जरिया

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नागपुर. सिटी में अब कोरोना की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि शासकीय व मनपा के अस्पतालों में केवल गंभीर लक्षण वाले मरीजों का ही इलाज किया जा रहा है. सामान्य लगने वाले या बिना लक्षण के कोरोना पाजिटिव को घरों में ही रहने की सलाह दी जा रही है. ऐसे में उन लोगों के सामने दिक्कत आ रही है जिनके घर होम क्वारंटाइन की सेपरेट व्यवस्था नहीं है. ऐसे में उन्हें मजबूरी में निजी लैब या अस्पताल का सहारा लेना पड़ रहा है. जहां व लूटमारी का शिकार हो रहा है.

विधायक कृष्णा खोपड़े ने बताया कि कई मरीज तो ऐसे भी सामने आए हैं जिनकी निजी लैब से रिपोर्ट सुबह पाजिटिव आई और जब वह शासकीय अस्पताल पहुंचा तो दोपहर में रिपोर्ट निगेटिव बताई गई और उसे शाम को घर जाने की छुट्टी दे दी गई. खोपड़े ने कहा कि लैब व डाक्टरों के इस रवैये से अब सिटी में कोरोना को लेकर भारी संभ्रम की स्थिति बन गई है. लोगों को निजी अस्पतालों में तो लूटा जा रहा है.

टेस्ट के अलग-अलग रेट
निजी अस्पतालों में तो लूटपाठ शुरू कर दी गई है. एक पीपीई किट का 600-700 रुपये के हिसाब से 24 घंटों में 4 किट के पैसे बिल में जोड़े जा रहे हैं. बेडचार्ज 9000 से 25000 रुपये तक ठोका जा रहा है. इतना ही नहीं अलग-अलग प्राइवेट लैब में कहीं टेस्ट के 750 लिये जा रहे तो कहीं 3000 ऐंठा जा रहा है. खोपड़े ने सवाल किया है कि एक ही टेस्ट के अलग-अलग चार्ज लैब कैसे वसूल रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मनपा के डाक्टर सामान्य पाजिटिव मरीजों को घरों पर ही रहने की सलाह दे रहा हैं. बिना टेस्ट किये ही उन्हें स्वस्थ बताकर घर भेज रहे हैं. 

5000 बेड के कोविड सेंटर का क्या
मनपा आयुक्त ने कलमेश्वर रोड में 5000 बेड का कोविड सेंटर स्थापित करने का दावा किया था. उस सेंटर का क्या हुआ. उसका उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है यह सवाल भी उन्होंने उठाया. अब जब मरीज हजारों की संख्या में पहुंच गए हैं तो उपचार की कोई पर्यायी व्यवस्था क्यों नहीं की गई है. उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि पिछले समय अनेक अस्पतालों में पाजिटिव मरीज मिलने से अस्पतालों को सील कर दिया गया था लेकिन पिछले महीने जोन-8 में एक अस्पताल में पाजिटिव मिले लेकिन वह अस्पताल अभी भी शुरू है. 

प्रापर गाइडलाइन जारी करें आयुक्त
कोरोना को लेकर अब नागरिकों में संभ्रम की स्थिति पैदा हो गई है. उन्हें क्या करना चाहिए, कहां जाना चाहिए इसकी प्रापर गाइडलाइन नियमित जारी किया जाना चाहिए. फिलहाल तो हालत यह है कि मरीज मनपा को फोन पर सूचना देते हैं तो 2-3 दिनों के बाद मनपा की टीम उनके घर पहुंचती है. इतने दिनों में नागरिक परेशान होते रहते हैं.