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  • याचिका खारिज करने की अर्जी ठुकराई

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नागपुर. जाति प्रमाणपत्र अवैध होने का हवाला देते हुए सांसद नवनीत राणा के चुनाव को चुनौती देते हुए पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल और सुनील भालेराव की ओर से अलग-अलग याचिकाएं दायर की गईं. याचिका पर सुनवाई के दौरान गत समय अदालत ने सांसद राणा को समन जारी किया था, जिस पर उनकी ओर से चुनाव याचिकाएं ही रद्द करने की मांग करते हुए अर्जी दायर की गई थी. इस अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश झका हक ने याचिका ठुकराने से साफ इंकार कर राणा की अर्जी ठुकरा दी. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद पाटिल, अधि. सचिन थोरात, अधि. राघव कविमंडन तथा राणा की ओर से अधि. जिया काझी ने पैरवी की.

झूठा शपथपत्र देकर लड़ा चुनाव

याचिकाकर्ताओं ने याचिकाओं में बताया कि लोकसभा चुनाव लड़ते समय सांसद नवनीत राणा ने झूठा शपथपत्र दिया है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर गलत प्रमाणपत्र के आधार पर चुनाव लड़ा गया है. इस संदर्भ में राणा की ओर से पैरवी कर रहे वकील का मानना था कि अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र सक्षम प्राधिकरण की ओर से दिया गया है. साथ ही जाति वैधता प्रमाणपत्र समिति की ओर से इसको वैध करार दिया गया है. ऐेसे में याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका में लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं, जिससे दोनों याचिकाएं खारिज करने का अनुरोध अदालत से किया. हाई कोर्ट की ओर से अर्जी ठुकराए जाने से प्रतिवादी को अब अदालत में अनुसूचित जाति का होने के सबूत देने होंगे.