नागपुर. कोरोना महामारी ने किसी को भी नहीं बख्शा है. अमीर, गरीब, बच्चे, बूढ़े जो भी संक्रमण की चपेट में आये, वायरस ने हलाकान किया. समय पर इलाज होने और प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने के कारण अब तक लाखों लोग बीमारी के चंगुल से बचकर भी निकल आये हैं. लेकिन अब तक कई शिकार भी हुए. मेडिकल में तैनात महाराष्ट्र सुरक्षा बल के पर्यवेक्षक 34 वर्षीय सनी लालसिंह खरे की भी कोरोना के कारण गुरुवार को मौत हो गई.
मेडिकल में एमएसएफ के 72 जवान तैनात हैं, जो कि चौबीसों घंटे अपनी सेवा में कार्यरत रहते हैं. कोविड काल में इन जवानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई थी. जिस जगह पर परिजन नहीं जाते थे, जवान पॉजिटिव मरीज और उनके परिजनों की सेवा में सतत रूप से लगे रहे. इन जवानों की बदौलत ही मेडिकल के निवासी डॉक्टर सहित इंटर्न खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
खरे पिछले 4-5 वर्षों से मेडिकल में कार्यरत थे. उन्हें कोरोना ने ड्यूटी के दौरान ही जकड़ा. 4 दिसंबर को हालत गंभीर हो गई. मेडिकल में डॉक्टरों ने तमाम तरह के प्रयास किए, लेकिन गुरुवार की शाम 5.30 बजे उनकी मौत हो गई. इस घटना से एमएसएफ जवान सहम गये हैं.
फिर निकले 409 पॉजिटिव
कोरोना का संकट अब तक टला नहीं है. इसके बावजूद आधिकाधिक लोगों की जांच नहीं की जा रही है. हालांकि अब बीमारी की तीव्रता पहले से ही कुछ कम हुई है. यही वजह है कि लोग लक्षण दिखने के बाद भी टेस्ट की बजाय होम आइसोलेशन में रहकर उपचार करा रहे हैं. डॉक्टरों की मानें तो दिसंबर में सेकंड वेव की जो संभावना व्यक्त की गई थी, वैसी स्थिति बनती नजर नहीं आ रही है. इसके बावजूद सतर्कता बरतनी अनिवार्य है. हो सकता है कि जनवरी-फरवरी में स्थिति गंभीर हो जाए. अब स्कूल भी शुरू होने जा रहे हैं.
इस हालत में सतर्कता और भी जरूरी हो जाएगी. इस बीच गुरुवार को 11 मरीजों की मौत हो गई. इसके साथ ही अब तक कुल 3,774 लोगों की जान चली गई है. वहीं 409 नये पॉजिटिव मरीजों के साथ ही जिले में कुल संक्रमित 1,16,137 हो गये हैं. फिलहाल जिले में 5,869 एक्टिव केस मौजूद हैं.
गुरुवार को विविध अस्पतालों में भर्ती 402 मरीजों को ठीक होने के बाद छुट्टी दी गई. इस तरह अब तक 1,06,494 मरीजों को छुट्टी दी जा चुकी है. टेस्टिंग की रफ्तार एक बार फिर धीमी पड़ने लगी है. चौबीस घंटे के भीतर जिले में 5,322 लोगों की ही जांच की गई. जांच कम होने से संक्रमितों की पहचान नहीं हो रही है, जबकि ठंड के दिन होने से बिना लक्षण वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है.