MTDC ने आम्बेडकर सांस्कृतिक भवन कर दिया साफ, तोड़फोड़ को लेकर अब जताया जा रहा रोष

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    • 2016 में मनपा ने किया था हस्तांतरित
    • 03 दिन पूर्व महामंडल ने पूरी इमारत कर दी धराशायी

    नागपुर. आर्थिक कंगाली के कारण अंबाझरी बगीचा और तालाब का विकास कर पाने में अक्षम मनपा ने इसके विकास के लिए वर्ष 2016 में भारत रत्न डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर के नाम पर बने सांस्कृतिक भवन सहित पूरा परिसर महाराष्ट्र पर्यटन विकास महामंडल को सौंपा था. हालांकि इन 5 वर्षों में परिसर में तो कोई भी विकास कार्य नहीं हो सका किंतु अब 3 दिन पहले एमटीडीसी की ओर से इस महत्वपूर्ण वास्तु को धराशायी कर दिया गया.

    एमटीडीसी की कारगुजारी उजागर होने पर अब मनपा में इसके खिलाफ रोष जताया जा रहा है. बुधवार को सत्तापक्ष नेता अविनाश ठाकरे और पूर्व विधि समिति सभापति धर्मपाल मेश्राम ने पत्र-परिषद लेकर तीव्र शब्दों में निषेध व्यक्त किया. उन्होंने बताया कि 11 जून को महापौर स्वयं इस घटना की जानकारी लेने के लिए प्रत्यक्ष स्थल पर जाएंगे.

    उन्होंने कहा कि आम्बेडकरी समाज की इस वास्तु के साथ भावनाएं जुड़ी हैं. जिस पर कुठाराघात किया गया है. मनपा सभा की अनुमति के बिना नियमों को ताक पर रखकर यह कृत्य किया गया है. अत: एमटीडीसी वास्तु का पुनर्निर्माण कर परिसर मनपा के अधिकार में देने की मांग उन्होंने की.

    इस तरह का है इतिहास

    • 14 अक्टूबर 1956 को डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर द्वारा दीक्षाभूमि पर धम्मदीक्षा लेने के बाद उसके दूसरे ही दिन मनपा की ओर से सत्कार किया गया था. कार्यक्रम के दौरान ही इस वास्तु का निर्माण करने का निर्णय लिया गया था.
    • 6 वर्ष बाद 1962 को वास्तु का निर्माण पूरा किया गया. 1972 को बैरि. राजाभाऊ खोबरागडे ने इसी वास्तु में अ.भा. बौद्ध शिखर परिषद ली थी जिसमें विश्वभर के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. 
    • तत्कालीन महापौर अटल बहादुरसिंह ने इसी वास्तु में मनपा में कर्मचारियों की भर्ती के लिए इंटरव्यू किए थे. 

    मनपा का इस तरह था समझौता

    अंबाझरी उद्यान कुल 42 एकड़ में फैला हुआ है जिसमें से 19.19 एकड़ में इस वास्तु के साथ परिसर का विकास करने की योजना थी. 6 अक्टूबर 2016 को मनपा की सभा में बहुमत के आधार पर परिसर के विकास के लिए एमटीडीसी को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव के अनुसार विकास पर होनेवाले खर्च व व्यवस्थापन को छोड़कर होनेवाली आय में 60 प्रतिशत मनपा और 40 प्रतिशत हिस्सा एमटीडीसी को मिलने का समझौता किया गया. लेकिन प्रस्ताव में कहीं भी इस वास्तु को तोड़ने का उल्लेख नहीं है. इसके बावजूद ऐेतिहासिक वास्तु क्यों तोड़ी गई इसका एमटीडीसी से कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया जा रहा है. 

    मनपा की घोर लापरवाही

    इस वास्तु को नजरअंदाज किए जाने को लेकर गत समय कुछ आम्बेडकरी संगठनों ने तत्कालीन और वर्तमान महापौर का ध्यानाकर्षित किया था. साथ ही वास्तु के नवीनीकरण का प्रस्ताव भी दिया था. आश्चर्यजनक यह है कि मनपा की ओर से यहां कुछ समय पहले आपली बस का डिपो तैयार करने की योजना बनाई गई थी. किंतु विरोध के बाद इसे टाल दिया गया. हालांकि परिसर एमटीडीसी को विकास के लिए देने पर मुहर तो लगाई गई, किंतु अभी भी तकनीकी दृष्टि से यह मनपा के अधिकार में होने का दावा किया जा रहा है. इसके बाद भी इमारत तोड़े जाने की भनक धरमपेठ जोन को नहीं है जिसे मनपा की घोर लापरवाही माना जा रहा है.