... then there will be 'corona blast' in city, warns by Manpah commissioner Mundhe

  • 23 को होगी अब सभा

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नागपुर. नागपुर मनपा के इतिहास में इससे पहले कभी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं हुई जब किसी मनपा आयुक्त को सदन बीच में छोड़कर निकल जाना पड़ा. कोरोना महामारी लाकडाउन के चलते मार्च महीने से मनपा की आमसभा नहीं हुई थी और जब किसी तरह सभा आयोजित की गई तो एक विषय ऐसा भड़का कि आयुक्त मुंढे को सभा बीच में ही छोड़कर निकल जाना पड़ा. दरअसल, सत्ताधारी पहले ही उन्हें कई मुद्दों पर घेरने की ठान कर आए थे. नगरसेवक हरीश ग्वालबंशी ने केटीनगर में मनपा के कमर्शियल काम्पलेक्स को कोविड हास्पिटल बनाने के संदर्भ में सवाल किया कि क्या उसका आरक्षण सभागृह की अनुमति से बदला गया और नहीं तो क्या आयुक्त को आरक्षण बदलने का अधिकार है. इसका जवाब देने आयुक्त मुंढे उठे और जब वे जवाब दे रहे थे तो दयाशंकर तिवारी ने प्वाइंट आफ इन्फर्मेशन लिया. जिससे मुंढे ने कहा कि पहले मेरा जवाब सुन लीजिए. इस पर तिवारी जोरदार भड़क उठे.

उन्होंने कहा कि प्वाइंट आफ इन्फर्मेशन का अर्थ भी नहीं जानते, यह नगरसेवक का अधिकार है. मुंढे ने महापौर से कहा कि ऐसा चला तो वे सभा से चले जाएंगे. महापौर ने जब मुंढे की यह बात सदन को बताई तो तिवारी भी भड़क गए. उन्होंने कहा कि अगर आयुक्त को नहीं जमता तो वे मुख्यमंत्री से बोलकर यहां से चले जाएं. उनके साथ ही हरीश ग्वालबंशी ने भी हमला कर दिया. ग्वालबंशी ने मुंढे से कहा कि आप शहर के हितैषी नहीं हैं. मुझे आप संत तुकाराम लगे थे लेकिन अब तुकाराम नाम को ‘कलंकित’ मत करो. पर्सनल अटैक पर मुंढे ने अपनी फाइलें उठाई और सभागृह से जाने लगे. इसी दौरान किसी नगरसेवक ने बेहद भद्दे तरीके उन्हें ‘ए रुक’ की आवाज लगाई. मुंढे ने भी पलट कर उन्हें देखा और सदन से बाहर हो गए. इसके पहले ग्वालबंशी ने मुंढे की कार्यप्रणाली को अंग्रेजों जैसी बताते हुए भी हमला बोला था.

‘हाइपोथिटिकल’ का अर्थ बताएं
जैसे ही सभा शुरू हुई तो नगरसेवक दयाशंकर तिवारी ने उनसे मेयर के माध्यम से सवाल किया कि अगर आयुक्त ने अपने कक्ष में किसी अधिकारी को सुनवाई के लिए बुलाया हो और उस अधिकारी के समर्थक कर्मचारी या ठेकेदार कक्ष के बाहर उसके समर्थन में नारेबाजी कर रहे हों तो उस पर क्या कार्रवाई होगी. आयुक्त मुंढे ने अपने जवाब में कहा कि वे किस ‘इवेन्ट’ के बारे में पूछ रहे हैं मुझे पता नहीं. उनका यह भी कहना था कि इस तरह के ‘हाइपोथिटिकल’ सवालों के जवाब वे नहीं दे सकते. दरअसल, सदन के बाहर युकां कार्यकर्ता मुंढे के सपोर्ट में नारेबाजी कर रहे थे और तिवारी का इशारा उसी ओर था. तिवारी ने तो हाइपोथिटिकल का हिन्दी अर्थ ही पूछ डाला. जब निगम सचिव ने ‘काल्पनिक’ बताया तो वे भड़क हो उठे. उन्होंने मनपा में अधिकारियों द्वारा जो भोंगड़ कारोबार चल रहा है उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजने की मांग रखी. 

उठी कार्रवाई की मांग
मुंढे के सभा से बाहर जाते ही ग्वालबंशी महापौर से मांग की कि आयुक्त जिस तरह सवालों का जवाब बिना दिए गए हैं तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है यह देखा जाए. मेयर के निर्देश पर निगम सचिव ने बताया कि इस तरह के हालात में क्या कार्रवाई हो सकती है उन्हें फिलहाल नहीं मालूम है क्योंकि ऐसा पहली हुआ है. इधर मुंढे के सदन से बाहर जाते ही कांग्रेस नगरसेवक बंटी शेलके और कमलेश चौधरी भी बाहर चले गए थे. प्रफुल गुढ़धे पाटिल ने मामले को संभालते हुए कहा कि व्यक्तिगत टिप्पणियां उचित नहीं है. आयुक्त को भी अपनी बात रखनी थी सभा से नहीं जाना था. इस संघर्ष में केवल शहर व यहां की जनता का नुकसान हो रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. महापौर आयुक्त को सदन में बुलाएं. प्रवीण दटके ने भी कहा कि सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर आयुक्त को बुलाएं. महापौर जोशी ने भी कहा कि लोकतंत्र की हत्या नहीं होनी चाहिए, हमें उन्हें साथ लेकर चलना है.

अविश्वास प्रस्ताव किया खारिज
सदन स्थगित करने बाद जब दोबारा कामकाज शुरू हुआ था तो कांग्रेस नगरसेवक संजय महाकालकर ने कोरंटाइन परिसरों में नागरिकों को किसी तरह की सुविधा मनपा प्रशासन द्वारा नहीं दिये जाने का हवाला देते हुए आयुक्त मुंढे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया लेकिन महापौर ने उसे अस्वीकार कर दिया. इसी समय शिवसेना नगरसेविका मंगला गवरे ने अपने वार्ड में मंजूरित कार्यों को आयुक्त द्वारा स्थगित कर दिए जाने और मिलने का समय नहीं देने का हवाला देते हुए स्थगन प्रस्ताव रखा. वहीं कांग्रेस के नगरसेवक नितिन साठवणे ने भी स्थगन प्रस्ताव रखा जिसमें कहा कि कोविड-19 में आयुक्त ने कभी विश्वास में नहीं लिया और आवाज उठाई तो उनके खिलाफ एफआईआर करवा दी. महापौर ने दोनों स्थगन प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. उसके साथ ही सभा को मंगलवार 23 जून तक स्थगित कर दिया. सभा अब मंगलवार को सुबह 11 बजे होगी.

दुखद व निषेधार्थ बर्ताव
सभागृह में आयुक्त का बर्ताव दुखद व निषेधार्थ है. किसी भी सदस्य का ध्येय आयुक्त का अपमान करना नहीं है. जो घटना हुई वह मनपा के इतिहास में कभी नहीं हुई. मैंने सभागृह की ओर से उनसे विनती करता हूं कि वे सदन में आएं. उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा. हमें जनता के कार्य करने हैं. मंगलवार को सुबह 11 बजे सदन में वे आएं. मैंने फोन कर उन्हें सदन में आने को कहा. उनका कहना है कि जिस सभा में आयुक्त का मान नहीं रखा जाता वहां नहीं आ सकते. 

– संदीप जोशी, महापौर.

खुद को जेम्सबांड समझता है
आयुक्त उत्तर नहीं दे पार रहे थे इसलिए बहाना बनाकर निकल गए. एक आयुक्त बारंबार जनप्रतिनिधियों की अवहेलना करता है. खुद को मृत्युंजय, जेम्सबांड समझता है. उन्हें सदन में जवाब देने बुलाएं और नहीं आते हों तो, क्या कार्रवाई हो सकती है यह देखें.

– दयाशंकर तिवारी, वरिष्ठ नगरसेवक.