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कोयला खानों की नीलामी से रोष
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संयुक्त मोर्चा नागपुर क्षेत्र की जगह-जगह गेट मीटिंग
सावनेर. आगामी 2 जुलाई से कोयला खानों के श्रमिक हड़ताल करेंगे. कोयला श्रमिकों के अनुसार कोयला उद्योग में कमर्शियल माइनिंग व नीलामी की शुरुआत की जा रही है. कोरोना महामारी के आड़ में भारत सरकार कोयला उद्योग को देश-विदेश के पूंजीपतियों के हाथों सौंपने पर तुली हुई है. जब कि कोल उत्पादन मुनाफे का कीर्तिमान स्थापित करने हेतु देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे रहा है.
सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रमुख श्रमिक संगठन बी.एम.एस., इंटक, आयटक, एच.एम.एस. व सीटू द्वारा संयुक्त मोर्चा बनाकर कोल उद्योग में 2 से 4 जुलाई तक राष्ट्रव्यापी हड़ताल को घोषणा की गई है. इसकी तैयारियों के तहत हर जगह कोयला खानों में गेट मीटिंग का आयोजन किया जा रहा है. भारत सरकार की 1992 से खुली अर्थव्यवस्था के नीति के कारण पब्लिक सेक्टर की ओर देखने का रवैया बदल गया है. 5 व 6 फरवरी 2015 को कमर्शियल माइनिंग के विरोध में केन्द्रीय श्रम संगठनों के हड़ताल के आह्वान पर केन्द्र सरकार के मंत्री समूहों की बैठक में संयुक्त सचिव स्तरीय एक त्रिपक्षीय समिति का गठन किया गया था. बैठकें भी हुईं.
सरकार द्वारा श्रम संघ को आश्वस्त किया किया कि निजीकरण/ कमर्शियल माइनिंग के पूर्व श्रम संघों से बात की जाएगी. श्रम संघों ने भी कमर्शियल माइनिंग के सरकार के प्रसताव के बदले में कोल इंडिया को सशक्त बनाने पर जोर देकर महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये. लेकिन केन्द्र सरकार ने श्रम संघों के सुझाव को दरकिनार कर मजदूरों से किये वादे तोड़ा और 18 जून को कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने का ऐलान किया जिस पर कोल मजदूरों में रोष बढ़ गया. आखित 5 श्रम संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का बिगुल फूंक दिया है.