NMC

  • 58 पुतले हैं शहर में

Loading

नागपुर. शहर की सामाजिक संस्था सिटीजन फोरम ने हाल ही में मॉरिस कॉलेज टी-पाइंट के पास स्थित शहीद स्मारक की स्वच्छता की. साथ ही शहर के अलग-अलग हिस्सों में स्थित महापुरुषों के स्मारकों की स्वच्छता करने के लिए इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करने का अनुरोध मनपा आयुक्त और महापौर से किया. किंतु सामाजिक संस्था की इस पहल की सराहना करने की बजाय अब मनपा इन स्मारकों को प्रन्यास द्वारा निर्मित किए जाने का हवाला देते हुए इनकी स्वच्छता और सफाई को लेकर पल्ला झाड़ रही है. विशेषत: संस्था ने शहर में स्थित महापुरुषों के स्मारक परिसर की भी हालत खराब होने की जानकारी उजागर करते हुए इस संदर्भ में पहल करने की अपील की थी. इसे लेकर मनपा ने खुलासा किया कि चूंकि स्मारक का निर्माण प्रन्यास द्वारा किया गया, अत: परिसर की स्वच्छता रखने की जिम्मेदारी भी प्रन्यास की है.

सूचना दें तो करेंगे व्यवस्था

शहर को स्वच्छता की रैंकिंग में अव्वल लाने के लिए मनपा द्वारा हमेशा ही जनता से अपील की जाती है कि सभी अपना परिसर स्वच्छ और सुंदर रखें. इस अभियान में मनपा को सहयोग करने की भी अपील की जाती है. गत वर्ष शहर की जनता की मदद से ही महानगरपालिका स्वच्छता की रैंकिंग में थोड़ा सुधार करने में कामयाब रही है. एक ओर स्वच्छता के लिए लोगों से अपील करना, वहीं दूसरी ओर गंदगी और कचरे से सराबोर हो रहे स्मारकों के लिए दूसरे विभाग पर उंगली उठाने पर आश्चर्य जताया जा रहा है. यहां तक कि मनपा ने दो टूक कहा है कि  यदि प्रन्यास सूचना दे तो सफाई की व्यवस्था करेंगे. 

कई महापुरुषों के स्मारक उपेक्षित

मनपा की ओर से बताया गया कि उसके अधिकार क्षेत्र में जिन महापुरुषों के पुतले आते हैं, उनकी स्वच्छता का कार्य नियमित किया जाता है. जबकि जानकारों के अनुसार केवल महापुरुषों की जयंती के दिन ही मनपा को इन स्मारकों और पुतलों की याद आती है. यहां तक कि जयंती आदि के दिन कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा जाकर केवल खानापूर्ति की जाती है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रन्यास कार्यालय के ठीक सामने साधु वासवानी का पुतला है, जिसके चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है. इसी तरह मानस चौक पर स्थित सुभाषचंद्र बोस के पुतले की सफाई भी नहीं की जाती. हालांकि वेरायटी चौक पर स्थित गांधी पुतले के सामने आए दिन आंदोलन होने के कारण इस परिसर की सफाई नियमित होती है. किंतु शहर के अन्य हिस्सों में महापुरुषों के पुतलों का ध्यान केवल चुनिंदा मौकों पर ही रखा जाता है.