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  • छूट की घोषणा से वसूली पर असर
  • 223 करोड़ सम्पत्ति कर का लक्ष्य
  • 175 करोड़ पानी कर से प्राप्ति की आशा

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नागपुर. मनपा के आम बजट में स्थायी समिति सभापति द्वारा कोरोना के संकट को देखते हुए इस वित्तीय वर्ष में सम्पत्ति कर और पानी कर के लक्ष्य में कोई भी वृद्धि नहीं की गई. इसके विपरीत गतवर्ष की तुलना में सम्पत्ति कर से होनेवाली आय कम ही रखी गई. इसके बावजूद करों की वसूली में मनपा बुरी तरह पिछड़ गई है.

मनपा के आम बजट में सम्पत्ति कर से 223 करोड़ की आय का लक्ष्य रखा गया था, जबकि पानी कर से 175 करोड़ मिलने की आशा जताई गई थी. बजट पेश करते हुए सभापति ने स्पष्ट किया था कि कोरोना के चलते लोगों की आर्थिक स्थिति पर पड़े असर को देखते हुए वास्तविक बजट पेश करने का पूरा प्रयास किया गया. यहां तक कि सम्पत्ति कर से भी वास्तविक आय होने की ही आशा जताई गई है.

करों में छूट की देख रहे राह

उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के चलते जनता की आय पर पड़े इसके असर को देखते हुए सत्तापक्ष की ओर से सम्पत्ति कर और पानी कर में 50 प्रतिशत की छूट देने की मांग तत्कालीन आयुक्त मुंढे से की थी. यहां तक कि महापौर और सत्तापक्ष नेता की ओर से मुंढे को कई बार स्मरण पत्र भी भेजे गए. इन मुद्दों पर चली लंबी लड़ाई के बाद मुंढे का तबादला हो गया. मांग के अनुसार सत्तापक्ष की ओर से करों में छूट का प्रावधान बजट में ही कर दिया. किंतु इसे अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया. बजट में ही प्रावधान होने से जनता द्वारा अब करों में छूट की राह देखी जा रही है. यहीं कारण है कि वर्तमान में करों का भुगतान आशा अनुरूप नहीं हो पाया है. 

जोन में लगेंगे शिविर

बताया जाता है कि अब सम्पत्ति कर में छूट को लेकर यू-टर्न लिया गया है, जबकि पानी कर में छूट देने का वादा निभाने के लिए मनपा की ओर से प्रत्येक जोन में शिविर लगाने की घोषणा की गई है.जोन में शिविर लगने के बाद ही सम्भवत: मनपा की आय में वृद्धि देखने को मिल सकती है. वैसे भी मनपा की कार्यप्रणाली के अनुसार प्रतिवर्ष जनवरी के बाद ही प्रशासन नींद से जागकर वसूली में जुटता है, जिससे वास्तविक वसूली केवल 3 माह में ही हो पाती है. चूंकि विकास कार्यों के लिए निधि की आवश्यकता होता है, अत: अब आचार संहिता खत्म होने से स्थायी समिति वसूली को लेकर प्रशासन पर शिकंजा कस सकता है.