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नागपुर. स्मार्ट सिटी और मनपा के अन्य मामलों को लेकर सत्तापक्ष के साथ आयुक्त के चल रहे ‘शीतयुद्ध’ में लगातार सत्तापक्ष की ओर से किए जा रहे आरोप और अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की ओर से भी सत्तापक्ष का समर्थन किया जा रहा हो, लेकिन मनपा आयुक्त मुंढे ने स्मार्ट सिटी प्रकल्प में किसी तरह की अनियमितता नहीं होने का खुलासा किया. उन्होंने कहा कि मनपा आयुक्त ही स्मार्ट सिटी (एसपीवी) कम्पनी के पदसिद्ध संचालक है. पहली बोर्ड की बैठक में नियुक्त किए गए सीईओ रामनाथ सोनवने ने 11 फरवरी 2020 को स्मार्ट सिटी के चेअरमन प्रवीणसिंह परदेसी को इस्तीफा सौंपा था. जिसके बाद नागपुर स्मार्ट सिटी के चेअरमन ने सीईओ का कार्यभार संभालने के निर्देश दिए थे. 

सरकारी निर्णय के अनुसार पद का कार्यभार
उन्होंने खुलासा किया कि नागपुर स्मार्ट सिटी के चेअरमन द्वारा दिए गए निर्देश तथा सरकार के फैसले के अनुसार ही अबतक इस पद का कार्यभार संभाला जा रहा है. स्मार्ट सिटी के सीईओ पद का निर्वाह करते समय दैनिक कामकाज नहीं किया जाता है. केवल समयावधि में कचरा संकलन प्रक्रिया में ट्रांसफर स्टेशन के लिए जारी टेंडर रद्द किया गया. इसके बदले बायोमायनिंग का टेंडर निकाला गया. टेंडर रद्द करने और नए टेंडर की घोषणा करने से पहले चेअरमन परदेसी से चर्चा करने के बाद ही निर्णय लिया गया है. यहां तक कि बायोमायनिंग का टेंडर अबतक अंतिम नहीं किया गया. दोनों मुद्दे संचालक मंडल की प्रस्तावित बैठक में रखे जा रहे हैं. 

किए गए कार्य का ही ठेकेदार को भुगतान
आयुक्त ने कहा कि इस दौरान कार्यालयिन खर्च और वेतन के अलावा केवल एक ही रनिंग बिल अदा किया गया है. यह बिल भी उनके मनपा में आने से पूर्व दिए गए कार्य और समझौते की शर्तों के अनुसार ही ठेकेदार को अदा किए गए. ठेकेदार द्वारा किए गए कार्य की ही निधि दी गई है. जिसमें किसी तरह की आर्थिक अनियमितता नहीं की गई. कम्पनी के कर्मचारियों को निकाले जाने पर उन्होंने कहा कि कर्मचारियों द्वारा वर्ष भर किए गए कार्य का आंकलन करने के बाद ही नियमों के अनुसार उन्हें सेवामुक्त किया गया. कोरोनाकाल में संचालक मंडल की कोई बैठक नहीं हो पाई. जो अब प्रस्तावित है.