- पिछले वर्ष अधिक हुई थी मौतें
नागपुर. कोरोना महामारी की वैक्सीन जब तक नहीं आती तब तक हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव करते हुए जिंदगी जीनी होगी. मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, बार-बार साबुन से हाथ धोना या जहां यह संभव नहीं वहां सेनिटाइजर का उपयोग करना अपनी आदतों में शुमार करना होगा.
अब इस महामारी से दहशत नहीं बल्कि जागरुकता व सतर्कता से निपटना होगा. क्योंकि अब हमें इसके साथ ही जीना है जैसे अब तक सर्दी-जुकाम-बुखार आदि हमारे लिए आम हो चुके हैं. लेकिन हां, कोरोना का लक्षण महसूस होते ही जांच जरूर करवानी होगी. समय पर जांच व उपचार हुआ तो कोरोना से मुक्त हुआ जा सकता है.
कुछ लोगों का कहना है कि शुरुआती दौर में कोरोना समझ में नहीं आने पर दहशत का वातावरण बना लेकिन अब इस दहशत से भी बचने की जरूरत है. सिटी की बात करें तो इस वर्ष कोरोना काल के कुछ महीनों में जितनी मौतें हुई हैं उससे अधिक तो पिछले वर्ष उसी अवधि विविध बीमारियों से व सामान्य मोतें हो चुकी हैं. लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण दहशत पसरा हुआ है जिससे लोग मानसिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं.
संभ्रम का होना चाहिए खुलासा
राकां के प्रदेश उपाध्यक्ष वेदप्रकाश आर्य ने बताया सूचना के अधिकार से जानकारी निकालने पर यह पता चला कि पिछले वर्ष 1 अप्रैल से 31 अगस्त 2019 की अवधि में सिट में 11423 मौतें हुई थीं और इस वर्ष 2020 में 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक 9790 मौतें हुई हैं. कोरोना महामारी होते हुए भी पिछले वर्ष की तुलना में 1633 मौतें कम हुई हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते हर परिवार में जो भय का माहौल है वह कुछ संवेदनशील लोगों में मानसिक व्याधियां पैदा कर रहा है. इसके लिए स्थानीय प्रशासन को मौतों के बारे में आंकड़ों के आधार पर संभ्रम को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए. कोरोना से भयभीत लोगों को उस भय से भी निकालना बेहद जरूरी है. खासकर महिलाओं के व्यवहारों में चिड़चिड़ापन आदि देखा जा रहा है.