- भयंकर हादसे का इंतजार कर रही पुलिस और मनपा
नागपुर. महाराष्ट्र की शीतकालीन राजधानी नागपुर में विधानभवन क्षेत्र सुरक्षा की दृष्टि से जितना लावारिस है, उतना तो पूरे भारत में कोई भी विधानभवन क्षेत्र नहीं होगा. कहने को सिविल लाइन्स जैसे क्षेत्र में नागपुर का विधानभवन मौजूद है, लेकिन महानगरपालिका और पुलिस की अक्षम्य लापरवाही के कारण सिटी के सबसे असुरक्षित स्थानों में उसका शुमार हो गया. ऐसा लगता है कि मनपा और पुलिस किसी भयंकर हादसे का इंतजार कर रही है और उसके बाद ही वो सुरक्षा के घेरे को चाक-चौबंद करेगी.
ड्रग्स तस्करों का अड्डा
क्राइम ब्रांच ने दो दिन पहले विधानभवन से लगे मीठा नीम दरगाह परिसर के पास से 2 ड्रग्स तस्करों को गिरफ्तार किया. ऐसा नहीं है कि पुलिस को इस बात की जानकारी नहीं है कि डीसीपी ट्राफिक कार्यालय से लगी झोपड़पट्टी में कई ड्रग्स तस्करों का अड्डा संचालित होता है. दिखावे के लिए ही सही, जब भी क्राइम का एनडीपीएस दस्ता वहां कार्रवाई के लिए भी आता है तो लोग उसी स्लम में शरण लेकर छिप जाते हैं. परिसर के आसपास के इलाके में खुलेआम गांजा-चरस-अफीम बिकता है. कुछ लोग तो वहीं नशे का सुट्टा लगाने आते हैं. सिर्फ पुलिस को यह सब नहीं दिखता. गृहमंत्री अनिल देशमुख और पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार के घर से मुश्किल से 2 किमी की दूरी पर कानून और व्यवस्था का यह आलम है, इससे ज्यादा दुरावस्था और क्या हो सकती है.
भिखारियों की आड़ में असामाजिक तत्व
ज्यादा बड़ी परेशानी वहां मौजूद असामाजिक तत्वों के कारण है. धार्मिक परिसर होने के कारण मानसिक रूप से विक्षिप्त कई लोगों का मेला वहां लगा रहता है. कुछ असामाजिक तत्व इन भिखारियों का भेष धारण कर अपना उल्लू सीधा करते रहते हैं. इसी भेष में कुछ लोग धड़ल्ले से नशे का कारोबार भी करते हैं. पुलिस कभी पकड़ने भी आई (वैसे तो आती नहीं) तो पागलों जैसी हरकतें करने लगते हैं. ऐसे में पुलिस उनको छोड़ देती है.
विधानभवन की सुरक्षा में सेंध
संसद भवन पर 2004 में जब आतंकवादी हमला हुआ था तब से देश भर में विधानभवनों की सुरक्षा को चाक-चौबंद करने के दिशानिर्देश जारी किये थे, उसी तर्ज पर सिटी स्थित विधानभवन परिसर में भी नई सुरक्षा व्यवस्था तैयार की गई थी. हालत यह है कि विधानभवन के सामने खंडहर पड़ी एक निर्माणाधीन इमारत को इसलिए मंजूरी नहीं दी गई क्योंकि विधानभवन की सुरक्षा में सेंध लग जाएगी. जबकि सुरक्षा के साथ खिलवाड़ परिसर में घूम रहे असामाजिक तत्व कभी भी लगा सकते हैं. वैसे भी आरएसएस मुख्यालय होने के कारण सिटी आतंकियों की हिटलिस्ट में है और 2006 में एक बार सिटी आतंकी हमला भुगत भी चुका है. नक्सलियों के निशाने पर तो पहले से ही है.
पटोले, देशमुख, राउत करें पहल
विधानभवन की सुरक्षा को लेकर एक फुल-प्रूफ प्लान तैयार करना होगा. विधानभवन परिसर की सुरक्षा की नई योजना पर काम करना होगा. परिसर के आसपास जो अनावश्यक हैं, उसे हटाने पर विचार करना होगा. सिर्फ शीतकालीन सत्र के दौरान मुस्तैदी दिखाने वाली पुलिस को भी बारामासी सुरक्षा योजना पर काम करना चाहिये. विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले को इस मामले की गंभीरता को समझते हुए पालकमंत्री नितिन राऊत और गृहमंत्री अनिल देशमुख को इस दिशा में पहल करने की जरूरत है. मनपा आयुक्त और पुलिस आयुक्त को भी इसकी गंभीरता समझनी पड़ेगी.
कुछ महीने पहले विधानभवन से लगी सड़क पर एक भी भिखारी को रुकने तक नहीं दिया जाता था. अब वहां मेला लगा रहता है.
विधानभवन के रास्ते के पास ही स्लम बस्ती बसी हुई है. पुलिस ने 2 दिन पहले इसी बस्ती से गांजा तस्कर को पकड़ा है. असामाजिक तत्वों का जमावड़ा इसी बस्ती में ज्यादा लगा रहता है. डीसीपी ट्राफिक आफिस से लगी हुई इस बस्ती भी सिविल लाइन्स की सुरक्षा में गंभीर खतरा है.