नागपुर. कोरोना वायरस के खौफ के चलते एसटी में यात्रियों की संख्या काफी तेजी से घट रही है. लॉकडाउन के पहले ही दिन बस स्टैंड पर इसका असर देखने मिला. जहां एसटी ने 50 प्रतिशत यात्रियों के साथ ही बसों को चलाने की प्लानिंग की थी, वहीं इसके उलट हर बस को सिर्फ 10 से 12 यात्रियों के साथ ही रवाना करना पड़ा. कोरोना के बढ़ते संक्रमण चलते लोग बस से सफर करने में परहेज कर रहे हैं. 15 से 21 मार्च तक लॉकडाउन के लिए महामंडल ने बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए आधे यात्रियों की संख्या कम कर दी थी. लेकिन कोरोना के कारण आधे यात्री भी एसटी स्टैंड नहीं पहुंचे.
एक तरफ से खाली ही लौटी बस
लॉकडाउन के कारण नागपुर में आने वाले यात्रियों की संख्या काफी कम हो गई है. एसटी में जहां एक तरफ से 10 से 12 यात्री ही बस से यात्रा करने पहुंचे तो वहीं वापसी में बसें खाली ही लौटीं. वहीं वापसी में आने वाली बसों में व्यस्त रूटों में भी एक से दो ही यात्री सफर कर लौटे. बताया जा रहा है कि आज पहले दिन यह स्थिति थी, लेकिन आने वाले दिनों में यह और विकराल हो जाएगी.
यात्रियों की कुर्सियों पर सिर्फ कंडक्टर और ड्राइवर
यात्रियों की संख्या कितनी कम थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बस स्टैंड के प्लेटफार्म पर यात्रियों के लिए लगीं कुर्सियों पर सिर्फ कंडक्टर और बस ड्राइवर ही नजर आए. एक-दो यात्रियों को छोड़ प्लेटफार्म की सभी कुर्सियां खाली ही रहीं. यात्री नहीं होने के कारण कंडक्टर और बस ड्राइवर बैठकर दिन भर टाइमपास करते ही नजर आए.
1,135 में से सिर्फ 600 फेरियां ही लगीं
एसटी बस स्टैंड गणेशपेठ से रोजाना 1,135 बसों की फेरियां लगती हैं. लेकिन सोमवार को बस स्टैंड से सिर्फ 600 फेरियां ही लगीं. इंचार्ज दीपक तामगाडगे ने बताया कि हर बस डिपो में इसी तरह की स्थिति रही. जिस रूट पर 10 बसें जाती थीं वहां सिर्फ 4 या 5 बसों को ही भेजा गया. यात्री नहीं होने के कारण आने वाले समय में और भी संकट सामने आएगा.
डीजल तक के नहीं निकले पैसे
लॉकडाउन के पहले ही दिन एसटी बस स्टैंड गणेशपेठ को करीब 7 से 8 लाख रुपए का नुकसान हुआ है. बताया जा रहा है कि सभी रूटों पर बसें तो गईं लेकिन सिर्फ 10 से 15 यात्री ही थे. इस कारण उन बसों में डीजल का पैसा तक नहीं निकल सका. सड़कों पर ट्रैफिक बिल्कुल भी नहीं था. हर बस डिपो में यात्रियों की संख्या इसी तरह या इससे भी खराब रही. यात्रियों को असुविधा न हो इसका पूरा ख्याल रखा गया. बस में सभी मास्क लगाकर बैठे थे.