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  • शिक्षाधिकारी का सभी बोर्ड की स्कूलों को निर्देश

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नागपुर. कोरोना के मद्देनजर पालकों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है. कई लोगों की नौकरी चली गई, वहीं कई लोगों का रोजगार छिन गया है. यही वजह है कि पालकों के पास बच्चों की बची हुई शुल्क जमा करने के लिए भी पैसे नहीं हैं, जबकि अब जल्द ही नया सत्र भी आरंभ हो जाएगा. इस हालत में स्कूल शुल्क वसूली के बारे में सख्ती नहीं करें, बल्कि लॉकडाउन का काल समाप्त होने के बाद फीस मांगी जाए. इस संबंध में माध्यमिक शिक्षाधिकारी एसएन पटवे ने सभी सीबीएसई, आईसीएसई, अनुदानित, बिना अनुदानित स्कूलों को पत्र भेजा है.

पटवे ने मुख्याध्यापकों से कहा कि प्रशासन ने फीस जमा की कालावधि बढ़ाने संबंधी परिपत्रक जारी किया है. इसी तरह पालकों को भी राहत दी जानी चाहिए. स्टालमेंट तय कर लॉकडाउन खत्म होने के बाद पालकों से बची हुई शुल्क की वसूली की जाए. साथ ही इस सत्र के लिए फीस में किसी भी तरह की वृद्धि नहीं की जा सकती. शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में कुछ शैक्षणिक सुविधाओं का उपयोग नहीं होने पर यदि खर्च में बचत होती है तो पालक कार्यकारी समिति में प्रस्ताव रखकर योग्य प्रमाण में फीस कम भी की जा सकती है. 

पालन नहीं करने पर कठोर कार्रवाई
लॉकडाउन के काल में पालकों को ऑनलाइन फीस भरने की सुविधा दी जाए. किसी भी परिस्थिति में स्कूलों द्वारा किताबें, स्टेशनरी, यूनिफार्म, जूते सहित अन्य शैक्षणिक साहित्य की बिक्री नहीं की जा सकती. लॉकडाउन के दौरान ली गई ऑनलाइन क्लासेस की अतिरिक्त फीस नहीं ली जा सकती. स्कूल शुरू होने के बाद शिक्षक-पालक संगठन (पीटीए) व फीस नियामक कार्यकारी समिति की स्थापना पारदर्शक पद्धति से वीडियो रिकार्डिंग कर की जाए.

छात्रों से ट्यूशन फीस और टर्म फीस के अलावा अन्य कोई भी फीस नहीं वसूला जा सकता. लॉकडाउन में जिन सुविधाओं का उपयोग नहीं हुआ है, उनकी फीस नहीं ली जाए. शासन के आदेश के बिना स्कूल शुरू नहीं करें. छात्रों व पालकों को स्कूल में न बुलाया जाए. यदि स्कूलों द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया तो संक्रमण रोग अधिनियम 1897 के खंड 2, 3 व 4 का उल्लंघन मानते हुए कठोर कार्रवाई की जाएगी. साथ ही स्कूलों की मान्यता रद्द करने का प्रस्ताव सचिव केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल (सीबीएसई) व शिक्षा उपसंचालक को भेजा जाएगा.