नागपुर. सरकार द्वारा आवंटित जमीनों का संस्थानों की ओर से दुरुपयोग किए जाने का हवाला देते हुए समाचार पत्रों में छपी खबरों पर हाईकोर्ट की ओर से स्वयं संज्ञान लिया गया था. इस संदर्भ में वास्तविकता उजागर करने के लिए संस्थानों को आवंटित जमीन का लेखा जोखा तैयार कर अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के लिए हाईकोर्ट की ओर से अदालत मित्र श्रीरंग भांडारकर और अन्य 2 की समिति का गठन किया गया था.
समिति की ओर से की गई छानबीन और हाईकोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार वाईएमसीए का सम्पूर्ण निर्माण और लान पूरी तरह नजूल की जमीन पर होने का खुलासा किया गया. राज्य सरकार की ओर से वाईएमसीए को लीज पर जमीन का आवंटन किया गया था. कमेटी ने साफ कहा है कि यह जमीन नजूल की मतलब सरकारी है किंतु वाईएमसीए की ओर से शर्तों का सरासर उल्लंघन किया.
जमीन का दुरूपयोग कर बनाया लान्स, रेस्टारेंट
जागरुक सामाजिक कार्यकर्ता अनिल वाडपल्लीवार की शिकायत पर यह छानबीन शुरू हुई थी. जिसके बाद गठित त्रिसदस्यीय समिति द्वारा कलेक्टर को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार की ओर से वाईएमसीए को खेल और सांस्कृतिक कार्य के लिए जमीन का आवंटन किया गया था. किंतु संस्था की ओर से जमीन का दुरुपयोग कर इसे लॉन और रेस्टारेन्ट के उपयोग के लिए किराए पर सौंप दी गई. हाईकोर्ट की इस समिति की ओर से लीजधारकों की सुनवाई भी की गई.
जिसमें खंगाले गए दस्तावेजों के अनुसार जमीन नजूल के द्वारा ही आवंटित की गई. समिति की ओर से खुलासा किया गया कि जमीन का व्यवसायीक दोहन हो रहा है. जिसके अनुसार वाईएमसीए ने लान्स, रेस्टारेंट और अन्य तरीकों से वर्ष 2012 से 2017 तक 2,23,70,174 रु. का किराया भी अर्जित किया है. जमीन का इस तरह से उपयोग करने के पूर्व संस्था ने राज्य सरकार से किसी तरह की अनुमति भी लेने की जरूरत नहीं महसूस की. जिससे शर्तों का उल्लंघन हुआ है.
इमारत निर्माण के लिए वाईएमसीए ने दी अनुमति
वडपल्लीवार ने कहा कि वाईएमसीए ने का कुछ हिस्सा किराए पर दे दिया है. यहां तक कि किराएदार को जमीन पर निर्माणकार्य करने की अनुमति भी दे दी. जहां किराएदार ने 2 मंजिला भव्य इमारत का निर्माण किया. जिसमें विवाह समारोह के लिए बड़ा हाल और रहने की भी व्यवस्था कराई गई है. निर्माणकार्य के लिए मनपा से मंजूरी भी नहीं ली गई है. प्रति वर्ष 44.6 लाख का किराया प्राप्त होने के बावजूद इसमें से राज्य सरकार को कुछ भी राशी प्रदान नहीं की गई. वाईएमसीए के सचिव नीरज सिंह का मानना है कि जमीन नजूल से लीज पर नहीं ली गई, बल्की पूरी तरह मालकियत की है. यहां तक कि समिति को इस बात की जानकारी भी मुहैया कराई गई है.