नागपुर. कोरोना संकट काल में जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा करने वाली नर्सों की मांगों को लेकर सरकार गंभीर नहीं है. 2 दिन तक 2 घंटे आंदोलन के बाद बुधवार से काम बंद किए जाने से मेडिकल, मेयो और सुपर में मरीजों की मुश्किलें बढ़ गईं. आंदोलन गुरुवार को भी जारी रहेगा. यदि सरकार द्वारा शाम तक मांगों पर विचार नहीं किया गया तो फिर 25 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी.
महाराष्ट्र राज्य परिचारिका संगठन की ओर से किए जा रहे आंदोलन की वजह से मरीजों की मुसीबत बढ़ती जा रही है. दिनभर वार्ड में नर्सें नहीं होने से मरीजों की परेशानी बढ़ती जा रही है. आंदोलन में मेडिकल की 800, मेयो की 150 और सुपर की 70 नर्सों ने हिस्सा लिया. हालांकि नर्सों का एक गुट आंदोलन में हिस्सा नहीं ले रहा है, लेकिन मैन पावर कम होने से काम का बोझ बढ़ गया है.
स्थिति यह हो गई है कि कैजुअल्टी से लेकर वार्डों तक किल्लत महसूस होने लगी है. संगठन उपाध्यक्ष शहजाद बाबा खान ने बताया कि सरकार को आंदोलन के संबंध में पहले पत्र दिया गया था. इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया. आंदोलन कर मरीजों की परेशानी बढ़ाना नहीं चाहते लेकिन सरकार जरा भी गंभीरता नहीं दिखा रही है. नर्सों की मांगें लंबे समय से प्रलंबित है.
दिनभर परिसर में डटे रहे
बुधवार को काम बंद किये जाने के बाद गुरुवार को भी काम बंद रहेगा. शाम तक सरकार द्वारा मांगों पर विचार नहीं किया गया या फिर संगठन के प्रतिनिधियों से चर्चा नहीं की गई तो शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी. यह हड़ताल मांगें पूरी होने तक जारी रहेगी. आंदोलन के दौरान मेयो और मेडिकल में नर्सें एकत्रित हुईं और अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी भी की.
नर्सों ने सरकार का ध्यान आकर्षित कराने के लिए हाथ में फलक पकड़े रखे थे. नर्सों की प्रमुख मांगों में रिक्त पद भरने, सुरक्षा कानून बनाने, केंद्र की तरह ही राज्य में भी वेतन श्रेणी लागू करने, समान काम समान वेतन देने, निजीकरण बंद करने, जोखिम भत्ता देने, कोविड काल की अर्जित छुट्टियां मंजूर करने आदि मांगें की गईं.