Nylon Manja
प्रतीकात्मक तस्वीर

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  • हाई कोर्ट ने पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव से मांगा जवाब

नागपुर. नायलॉन मांजा और प्लास्टिक की पतंग पर पाबंदी को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से दिए गए फैसले के अनुसार वर्ष 2016 में पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव की ओर से पर्यावरण नियंत्रण कानून-1986 की धारा 5 के तहत संबंधित विभागों के अधिकारियों को न केवल निर्देश जारी किए गए, बल्कि अधिकार भी प्रदान किए गए.

आदेश जारी होने के बावजूद इसका पालन नहीं होने की जानकारी अदालत मित्र की ओर से रखे जाने के बाद न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने प्रधान सचिव को स्वयं या अपने समकक्ष अधिकारी के माध्यम से हलफनामा दायर करने के आदेश दिए. अदालत मित्र के रूप में अधि. देवेन चौहान, मनपा की ओर से अधि. जैमीनी कासट, राज्य सरकार की ओर से डी.पी. ठाकरे, प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से अधि. एस.एस. सन्याल ने पैरवी की. 

धरातल पर नहीं हो रहा पालन

शहर में नायलॉन मांजा के कारण लगातार हो रही दुर्घटनाओं का हवाला देते हुए अदालत मित्र ने कहा कि भले ही कड़े निर्देश जारी किए गए हो, किंतु धरातल पर इसका पालन होता कहीं भी दिखाई नहीं देता है. राज्य सरकार की ओर से 30 मार्च 2015 को मकर संक्रांति के दिन नायलॉन मांजा के उपयोग पर पाबंदी का आदेश जारी किया था. जिसे चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में वर्ष 2016 में याचिका दायर की गई थी.

जिस पर हाई कोर्ट ने केवल एक दिन नहीं, बल्कि पूर्ण पाबंदी का आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने 18 जून 2016 को पूर्ण पाबंदी का आदेश जारी किए. सभी विभागीय आयुक्त, महानगर पालिका आयुक्त, जिला मजिस्ट्रेट, जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, एसपी और सूचना एवं प्रसारण विभाग के डीजी को निर्देश जारी किए गए थे.

थोक विक्रेता भी बंद करें लेनदेन

अदालत ने आदेश में कहा कि पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव की ओर से नायलॉन मांजा के कारण होनेवाली घटनाओं का हवाला देकर न केवल सरकारी विभाग, बल्कि नायलॉन मांजा के थोक विक्रेताओं को भी समय से काफी पहले ही नायलॉन मांजा का लेनदेन बंद करने के निर्देश दिए थे. चूंकि नायलॉन पूरी तरह खत्म होनेवाली वस्तु नहीं है, अत: पर्यावरण पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है.

अत: लोगों में बड़े पैमाने पर इसकी जनजागृति आवश्यक होने की मंशा कोर्ट ने जताई. जिसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जा सकता है क्या, इसकी संभावनाएं तलाशने के आदेश भी दिए. अदालत ने सभी अधिकारियों को 18 जून 2016 को जारी किए गए दिशानिर्देश पर अमल करने के आदेश भी दिए.