City land, busy land, dreamland started, textile traders asked for permission
प्रतीकात्मक तस्वीर

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नागपुर. कोरोना के मद्देनजर लॉकडाउन को लेकर अधिकारों का हवाला देते हुए आयुक्त द्वारा जारी आदेशों तथा आयुक्त के अधिकारों को ही चुनौती देते हुए हाईकोर्ट के कुछ वकीलों की ओर से अदालत का दरवाजा खटखटाया गया. यहां तक कि केवल होजियरी को अनुमति लेकिन गारमेंट पर पाबंदी होने से व्यापार करने में हो रही परेशानियों को लेकर भी अलग से याचिकाएं दायर की गई. जिस पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि.

श्याम देवानी की ओर से अब सिटी को रेड जोन में रखे जाने के आदेश पर भी आपत्ति जताई गई, जिसके बाद न्यायाधीश रवि देशपांडे और न्यायाधीश अमित बोरकर ने याचिका स्वीकृत कर शीघ्र अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दी. सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी और मनपा की ओर से अधि. सुधीर पुराणिक ने पैरवी की.

नोटिफिकेशन को चुनौती के बिना राहत देना संभव नहीं
सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि याचिका में कई अहम और वास्तविक मुद्दें शामिल हैं, किंतु जब तक नोटिफिकेशन को असंवैधानिक करार देते हुए चुनौती नहीं दी जाती है, तब तक उस पर रोक लगाते हुए राहत देना संभव नहीं है. सुनवाई के दौरान मनपा की ओर से पैरवी कर रहे अधि. पुराणिक ने अदालत को बताया कि 21 मई को नए आदेश जारी कर मनपा आयुक्त की ओर से सिटी को रेड जोन घोषित कर दिया गया है. न केवल मनपा बल्कि अनुरोध पर राज्य सरकार की ओर से भी आदेश में परिवर्तन कर नागपुर को रेड जोन में समाविष्ट कर दिया गया है.

…तो अन्य को अनुमति क्यों नहीं
गत सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से राजस्व के लिए शराब की दूकानों को अनुमति तो दी गई, तो अन्य दूकानों को अनुमति क्यों नहीं है. इस संदर्भ में खुलासा करते हुए मनपा की और से पैरवी कर रहे अधि. काजी ने कहा कि शराब की दूकानों में ग्राहकों को शराब खरीदने के लिए मात्र 5 से 10 मिनट का समय लगता है, जिससे यहां भीड़ होने की संभावना नहीं रहती जबकि गारमेंट की दूकानों में लोगों की भीड़ जमा होने से सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन कठिन है. सुनवाई के दौरान अदालत का मानना कि एकल पीठ के अधिकार सीमित हैं. अत: मनपा आयुक्त के अधिकारों को लेकर फैसला द्वय बेंच द्वारा किया जा सकता है, लेकिन किन दूकानों को खोलने की अनुमति दी जाए, किन दूकानों को नहीं, क्या सही है, क्या नहीं? इसका निर्धारण किस आधार पर होता है, इसका जवाब भी मनपा से मांगा गया.