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  • प्राध्यापकों की कमी से वर्षों से नहीं बढ़ी प्रवेश क्षमता

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नागपुर. महाराष्ट्र के एकमात्र पीटी स्कूल एंड सेंटर (फिजियोथेरेपी) के विकास को लेकर सरकार द्वारा पिछले वर्षों में बरती गई लापरवाही का ही नतीजा है कि पिछले 25 वर्षों में लेक्चरर्स का प्रमोशन नहीं हुआ है. वर्तमान में स्नातकोत्तर की केवल 4 सीटें ही उपलब्ध हैं. इनमें भी हर वर्ष रोटेशन के आधार पर सीटें आरक्षित की जाती हैं. यही वजह है कि चाहकर भी मेरिटोसियस छात्रों को प्रवेश का अवसर नहीं मिल पाता. इस संबंध में सिटी के कुछ पालकों ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम में ओबीसी प्रवर्ग के लिए सीटें बढ़ाने और प्राध्यापकों के खाली पद भरने की मांग की है.

राज्य में उक्त पाठ्यक्रम के 22 कॉलेज हैं. इनमें 5 शासकीय कॉलेजों में स्नातकोत्तर विभाग है, जबकि शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल के अंतर्गत चलने वाले एकमात्र शासकीय पीटी स्कूल में पीजी की केवल 4 ही सीटें हैं. पिछले सत्र में 1 सीट एससी, 1 एनटी और 2 सीटें ओपन वर्ग के लिए आरक्षित थी. इस बार रोटेशन के तहत आरक्षण में बदलाव होगा. इतने पुराने कालेज को लेकर सरकार का रवैया अनेक सवाल खड़े करता है. फिलहाल कालेज में केवल 4 ही लेक्चरर है, जबकि नियमानुसार 13 पद होने चाहिए. इनमें 6 लेक्चरर, 4 एसोसिएट प्रोफेसर, 2 प्रोफेसर और एक प्रिंसिपल एंड प्रोफेसर का समावेश है. लेकिन सरकार ने पिछले 25 वर्षों से प्रमोशन नहीं दिया है. यही वजह है कि वर्तमान में लेक्चरर ही सुपरिटेंडेड की जिम्मेदारी संभाल रही है.

CM, PM को पालकों ने भेजा पत्र
मुंबई में महानगर पालिका द्वारा संचालित किये जाने वाले कॉलेजों में उक्त पाठ्यक्रम चलाया जाता है. वहां हर कॉलेज में कम से कम 10 सीटें है. लेकिन राज्य के सबसे पुराने एकमात्र शासकीय कालेज में केवल 4 सीटें होने से हर वर्ष अनेक छात्रों को निराश होना पड़ता है. पिछले वर्ष ओटी स्कूल में ओबीसी की सीट नहीं होने से अनेक छात्रों को प्रवेश से वंचित रहना पड़ा था. यदि रोटेशन के तहत इस बार ओबीसी को सीट मिली थी तो एकमात्र होगी. पालक वामन लांजेवार ने बताया कि सर्वप्रथम सरकार द्वारा पीटी स्कूल में प्राध्यापकों के पद भरे चाहिए, पद भरने से सीटें भी बढ़ेंगी, साथ ही ओबीसी प्रवर्ग को न्याय दिलाने की दिशा में कार्य किये जाने की मांग की है.