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  • निजी अस्पतालों में हर सुविधा के लिए अलग-अलग चार्ज

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नागपुर. सिटी के मेडिकल, मेयो सहित डागा सहित मनपा के अस्पतालों में कोरोना बाधित महिलाओं की प्रसुति की व्यवस्था है, लेकिन शासकीय अस्पतालों की अपनी मर्यादा है. यही वजह है कि बेहतर सुविधा और माहौल के लिए लोग निजी अस्पतालों की ओर रुख करते हैं. लेकिन इन अस्पतालों का कुल खर्च सुनकर ही पसीना निकल रहा है. करीब 2 से 3 लाख रुपये डिलीवरी का चार्ज वसूला जा रहा है.

जिले में कोरोना बाधितों की संख्या पर नियंत्रण होता नजर नहीं आ रहा है. अगले कुछ महीने तक राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. अप्रैल के बाद से गर्भवती महिलाओं के लिए मेडिकल, मेयो ही पर्याय थे. बाद में डागा शाससकीय अस्पताल सहित मनपा के कुछ अस्पतालों में कोरोना बाधित महिलाओं की प्रसूति की सुविधा उपलब्ध कराई गई. मनपा ने 50 से अधिक निजी अस्पतालों को कोविड अस्पताल के रुप में मंजूरी दी. इनमें स्त्रीरोग व प्रसुती रोग विशेषज अस्पतालों का भी समावेश रहा, लेकिन स्त्रीरोग व प्रसूती विशषेज डाक्टरों के 5 अस्पताल छोड़कर अन्य अस्पतालों में कोरोना बाधितों की डिलीवरी नहीं किये जाने की भी शिकायत है.

बीमा योजना होने पर भी पहले नगद जमा
कोरोना बाधित महिलाओं की डिलीवरी के लिए कोरोना उपचार के साथ ही डिलीवरी का अलग से खर्च लगाया जा रहा है. यही वजह है कि यह खर्च 2 लाख से अधिक हो रहा है. साधन-संपन्न लोगों के लिए इतना खर्च करना संभव है, लेकिन मध्यमवर्गीय परिवार अस्पताल का खर्च सुनकर ही मेडिकल या फिर डागा में भर्ती कराने के लिए निकल जाते हैं. वहीं कई लोग मजबूरी में डिलीवरी करा रहे हैं. जिन लोगों के पास बीमा योजना है, उन्हें भी पहले रकम जमा कराने को कहा जाता है. इतनी बड़ी रकम जमा करने के लिए लोगों को अपने जेवर सहित अन्य वस्तुएं बेचने जैसी नौबत आ गई है. जब तक संबंधित व्यक्ति अस्पताल में भर्ती है, परिजन शिकायत करने की भी हिम्मत नहीं करते. यही वजह है कि इस तरह के मामले सामने नहीं आ रहे हैं.

मेडिकल, मेयो में 376 बाधितों की डिलीवरी
सिटी के मेडिकल, मेयो इन शासकीय संस्थाओं में सुविधा होने के बाद भी बेड की अपनी सीमा तय है. बेड खाली नहीं होने पर कई बार महिलाओं को निजी अस्पतालों में भर्ती करने की सलाह दी जाती है. इसके बाद कोविड काल में मेयो में सबसे अधिक २६५ करोना बाधित और मेडिकल में १११ महिलाओं की प्रसूति की गई है. मेयो में कुल प्रसुति में से १२५ सामान्य तथा १२९ सिजर प्रसूति की गई. इतना ही नहीं शुरुआत में डिलीवरी के बाद कई डाक्टरों और स्टाफ को क्वारंटाइन भी होना पड़ा. वहीं कुछ डाक्टर कोरोना की चपेट में भी आये. इन सब की परवाह किये बिना अब भी डागा, मेयो और मेडिकल के डाक्टर प्रोटोकाल का पालन करते हुए सेवा प्रदान कर रहे हैं.