कोरोना 2.0 में ऑक्सीजन एक्सप्रेस, संकटमोचक बने लोको पायलट, गार्ड

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    • कहा-आपातकाल में देशसेवा नसीब की बात

    नागपुर. देश के एक बड़े हिस्से में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ गई है. कोरोना के खिलाफ जारी जंग के दूसरे हिस्से में रेलवे की ऑक्सीजन एक्सप्रेस लाखों लोगों को बचाने में कामयाब रही. ऐसे में ऑक्सीजन एक्सप्रेस के माध्यम से लाखों कोरोना संक्रमितों के लिए संजीवनी कहलाने वाली प्राणवायु को सुरक्षित रूप से पहुंचाने वाले लोको पायलट और गार्ड भी संकटमोचन हनुमान से कम साबित नहीं हुए.

    दूसरी ओर मध्य रेल नागपुर मंडल के तहत भी ऑक्सीजन एक्सप्रेस दौड़ाने वाले लोको पायलट और गार्ड इस कार्य को अपनी किस्मत मानते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर आपातकाल से कम नहीं थी. ऐसे हालात में हमें सैनिकों की तरह देशसेवा का मौका मिला, यह हमारा नसीब में था. सारी उम्र अपनी इस सेवा पर गर्व रहेगा. 

    सिटी से गुजरी कई ऑक्सीजन एक्सप्रेस

    उल्लेखनीय है कि देश ही पहली ऑक्सीजन एक्सप्रेस नागपुर ही आई थी. वाइजैग (विशाखापट्टनम) से चली यह ऑक्सीजन 23 अप्रैल को नागपुर आई थी जिसमें 3 टैंकर यही उतारे गये जबकि बाकी 4 को नाशिक भेजा गया. अभी तक 8 से ज्यादा ऑक्सीजन एक्सप्रेस यहां से गुजर चुकी है. इनमें से सोलापुर मंडल के लिए भेजी गई ट्रेन में नागपुर मंडल के लोको पायलट और गार्डस को सेवा का मौका मिला. महाराष्ट्र में अब तक 9 ऑक्सीजन एक्सप्रेस के माध्यम से 610 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन पहुंचाई जा चुकी है.

    मेरे लिए गर्व की बात

    सोलापुर मंडल में भेजी गई ऑक्सीजन एक्सप्रेस को नागपुर से बडनेरा तक ले जाने वाले लोको पायलट ने निहार एम. सोनोने ने कहा कि यह मेरे लिए गर्व की बात रही. शायद ये देशसेवा मेरी किस्मत थी क्योंकि मंडल में और भी सीनियर और अनुभवी लोको पायलट है लेकिन ड्यूटी मेरी लगी. उन्होंने कहा कि हमें बडनेरा तक लाइन एक दम क्लीयर मिली. कहीं भी रेड सिग्नल नहीं था. लोगों के कैरिअर में ऐसा दिन कभी कभार ही आता है. सेवा के इस मौके के लिए आभार शब्द कम हैं. 

    आगे भी ऐसी ड्यूटी चाहूंगा

    इसी ट्रेन में सहायक लोको पायलट के तौर पर तैनात अमित एस. जोशी ने कहा कि कोरोना के इस गंभीर समय पर हर नागरिक किसी न किसी तरीके से मदद करना चाहता है. मैं अपने आपको बड़ा सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे ऑक्सीजन एक्सप्रेस पहुंचाने का मौका मिला. मैं चाहता हूं कि आगे भी मुझे यह मौका दिया जाये. 

    मरते दम तक याद रहेगा 

    उक्त ऑक्सीजन एक्सप्रेस में तैनात गुड्स गार्ड सुरेश मीना ने कहा कि हमने नागपुर से बडनेरा की दूरी मात्र 3.35 घंटे में पूरी की. ट्रेन में कोई  प्राब्लम न हो, इसके लिए प्रशासन द्वारा ट्रैफिक निरीक्षक, चीफ लोको निरीक्षक, सी एंड डब्ल्यू, ओएचई, रेल सुरक्षा बल स्टाफ यानी हर कोई मिलकर काम कर रहे थे. पूरे समय मेरे मन में गर्व का एक भाव था. इस जीवनदायी अभियान में मेरा भी नाम दर्ज हो गया है. ये समय मुझे सारी जिंदगी याद रहेगा. 

    संतोष का ठिकाना नहीं रहा

    वहीं चीफ लोको इंस्पेक्टर एमपी सिंह ने कहा कि मुझे बडनेरा तक इस ऑक्सीजन एक्सप्रेस का मॉनिटर करना था. कंट्रोल द्वारा इस ट्रेन को नागपुर से बडनेरा तक थ्रू लाइन क्लीयर दिया. इसके चलते हमने 175 की दूसरी मात्र 3 घंटे 35 मिनट में पूरी कर ली. बडनेरा में यह ड्यूटी पूरी करते ही जो संतोष मिला, वह अतुलनीय है. क्योंकि ये ऑक्सीजन एक्सप्रेस हजारों लोगों की जान बचाने वाली थी और हम भी इसका हिस्सा बने. मुझे गर्व है कि मैं भारतीय रेलवे का एक हिस्सा हूं.