जर्जर हो गया पांचपावली उड़ानपुल

  • पुल के बीचोंबीच बन रहा लो लैंड
  • सुरक्षा रैलिंगों में अनगिनत दरारें

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नागपुर. मध्य नागपुर को उत्तर नागपुर से जोड़ने वाले पांचपावली उड़ानपुल के दिन अब लद रहे हैं. इसकी रैलिंग कब से टूटनी शुरू हो चुकी हैं, वहीं अब इसके बीच के हिस्से के सामान्य धरातल से नीचे होने की चर्चा चल रही है. पुल का मध्य भाग इस प्रकार स्पष्ट महसूस किया जा सकता है कि थोड़ी की वर्षा होने के बाद इसके ऊपर काफी पानी जमा होने लगा है. पानी जमा होने की मात्रा साल बढ़ती जा रही है. यहां से रोजाना होकर आने-जाने वाले लोगों का कहना है कि इस पुल के मेंटेनेंस को लेकर प्रशासन का ध्यान न के बराबर है. हर बार सिर्फ इसके जोड़ों के ऊपर डामर का मिक्चर रखकर उन्हें पाट दिया जाता है. इससे कभी न ठीक होने वाले जोड़ों से जल्द ही डामर उखड़ जाता है और कुछ दिन में इसका तल जस का तस हो जाता है.

जानकारी के अनुसार पांचपावली पुल का निर्माण हुए बहुत लंबा समय नहीं बीता है, परंतु इस पुल पर यातायात का दबाव ज्यादा होने के कारण पुल के ढांचे पर ज्यादा बोझ पड़ता है. चौबीस घंटे वाहनों की आवाजाही के कारण हर बार इसका सूक्ष्म गति से क्षरण होता है. वहीं पिछले साल हुई अत्यधिक वर्षा से इस पुल को बहुत नुकसान पहुंचा. इसके अनुपात में इसे दुरुस्त करने व मेंटेन करने की आवृत्ति कम है. इसके फलस्वरूप इस वर्ष पुल की हालत बहुत जर्जर दिखाई पड़ रही है. पुल के बीचोंबीच जहां पर नाईक तालाब और टिमकी की ओर से आकर शाखाएं जुड़ती हैं वहां एक बड़े चौक जैसी आकृति बनती है. यहां का हिस्सा भी काफी नीचे हो गया है. बीच का हिस्सा दबने से यहां पर काफी पानी भरने लगा है. 

उड़ान पुल के कमाल चौक से लेकर गोलीबार चौक तक पुल के दोनों तरफ की सुरक्षा दीवारें जर्जर हो चुकी हैं और दरारों ने इन दीवारों को कई तुकड़ों में बांट दिया है. दरारों के बीच पीपल व अन्य वनस्पति के पौधों ने अपनी जड़ें जमा ली हैं. कमाल चौक के पास कुछ साल पहले एक दुर्घटना में रैलिंग का हिस्सा टूटकर गिर गया था जिसे बाद में दुरुस्त किया गया. बाकी रैलिंग के ऊपर लगे हुए लोहे के पोल भी टूट रहे हैं. पूरे पुल पर धूल ही धूल है. 

पुल की स्थिति की जांच होनी जरूरी
यहां से गुजरने वाले नागरिकों का कहना है कि जिस तरह कई दूसरे पुलों की दुरुस्ती होते रहती है, वैसी पांचपावली उड़ानपुल की दुरुस्ती कई सालों से हमने देखी नहीं है. पहले ही इस पुल को बनाते समय इंजीनियरिंग की ऐसी गलती की गई है जिसके कारण इसकी गुणवत्ता खराब हो चुकी है. इस पुल के बीच के जोड़ों से कई नागरिकों की रीढ़ व कमर की हड्डियां खराब हो चुकी हैं. अब कम से कम प्रशासन को चाहिए कि इस पुल की वास्तविक अवस्था की अच्छी तरह जांच कराएं और जितना हो सके दुरुस्ती करें. केवल गड्डे बुझाने की बजाय पुल के ऊपर संपूर्ण डामरीकरण किया जाए ताकि वाहन चालकों को राहत मिल सके.