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  • खुलेआम मिल रहा सिगरेट, खर्रा, गुटखा

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नागपुर. कुछ वर्ष पूर्व सरकार ने सार्वजनिक स्थलों, सरकारी कार्यालय परिसर में धूम्रपान पर प्रतिबंध लगा दिया था. धूम्रपान करते पाये जाने वाले लोगों पर कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए थे. लेकिन धूम्रपान प्रतिबंध कानून की धज्जियां सरकारी कार्यालय परिसरों में जमकर उड़ रही है. कलेक्टर आफिस, डिविजनल कमिश्नर आफिस, जिला परिषद, पुलिस मुख्यालय परिसर सहित जिला न्यायालय परिसर के आसपास खुलेआम गुमटियों व पानठेलों में सिगरेट, खर्रा और प्रतिबंधित गुटखा बिक रहा है. डिविजनल कमिश्नर आफिस, जलसंपदा विभाग के सामने तो बाजार ही भरता है जहां कई पानठेले संचालित हो रहे हैं. अधिकारी यहां नजर मारते हुए निकल जाते हैं लेकिन किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही.

जिमेदारी से भाग रहे अधिकारी

धूम्रपान निषेध कानून को अमल में लाने की जिमेदारी तो सभी विभागों के अधिकारियों को सरकार ने दे रखी है लेकिन जिमेदार अधिकारी किसी तरह की कार्रवाई भी नहीं कर रहे हैं. पिछले 6 वर्षों में अब तक किसी के द्वारा किसी तरह की कार्रवाई नजर नहीं आई. परिणाम यह है कि कानून की धज्जियां उड़ाते हुए सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को धूम्रपान करते देखा जा सकता है और खर्रा व गुटखा की बिक्री भी धड़ल्ले से हो रही है.

सभी कार्यालयों के एक जैसे हाल

सभी सरकारी कार्यालय परिसर के भीतर तक चाय की गुमटियों में सिगरेट-खर्रा बेजा जा रहा है. यहां कर्मचारियों को भी धूम्रपान करते देखा जा सकता है. आश्चर्य की बात है कि संबंधित अधिकारियों ने धूम्रपान प्रतिबंधक कानून का इस्तेमाल कर कोई कार्रवाई नहीं की. जिला परिषद, प्रशासकीय इमारत, जलसंपदा विभाग कार्यालय, विभागीय आयुक्त कार्यालय इमारत के आसपास परिसरों का भी ऐसा ही हाल है. यहां भी लोगों को बिंदास धूम्रपान करते देखा जा सकता है. लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

अनेक कार्यालयों में तो धूम्रपान निषेध के फलक तक नहीं लगाए गए हैं, जबकि कानून के अनुसार सरकारी कार्यालयों व सार्वजनिक स्थानों में फलक लगाना अनिवार्य है. हाल यह है कि सभी सरकारी कार्यालय परिसर में कहीं भीतर तो कहीं लगकर ढेरों चाय की गुमटियां चल रही हैं जिनमें सिगरेट-बीड़ी बेची जा रही है. अनेक स्कूल-कालेज से 100 मीटर के भीतर ही पानठेले चल रहे हैं लेकिन उन पर संबंधित विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा. लगभग सभी विभाग के प्रमुखों को धूम्रपान प्रतिबंधक कानून के तहत कार्रवाई के अधिकार दिए गए हैं, लेकिन शायद कोई अपना काम बढ़ाना नहीं चाहता.