सभा में पारित करें ऐतिहासिक भवन का निर्माण, पार्षदों के शिष्टमंडल ने महापौर को सौंपा पत्र

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    • 100 करोड़ से अधिक का हुआ खर्च
    • 44 एकड़ जमीन का है परिसर
    • 15 एकड़ में बना है बगीचा

    नागपुर. प्रन्यास के विश्वस्त मंडल की बैठक में अंबाझरी गार्डन के साथ ही डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर भवन को लेकर मचे हंगामे के बाद अब मनपा में भी इसे लेकर मसला गरमा गया है. यहीं कारण है कि पूर्व विरोधी पक्ष नेता संदीप सहारे के नेतृत्व में पार्षदों के शिष्टमंडल ने इस ऐतिहासिक भवन के निर्माण का मुद्दा मनपा की सभा में पारित करने की मांग महापौर दयाशंकर तिवारी से की. इस संदर्भ में सभी पार्षदों ने महापौर को पत्र भी सौंपा.

    पत्र में शिष्टमंडल ने कहा कि डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर ने दीक्षाभूमि पर 14 अक्टूबर 1956 में दीक्षा ली थी. जिसके बाद महानगर पालिका ने उन्हें मानपत्र देकर सम्मानित किया था. 2 माह बाद ही 6 दिसंबर को आम्बेडकर का महापरिनिर्वाण हो गया. उनकी स्मृति में बना आम्बेडकर भवन ऐतिहासिक है. जिसका पुनर्निर्माण होना जरूरी है. शिष्टमंडल में वरिष्ठ पार्षद मनोज सांगोले, पार्षद दर्शनी धवड, भावना लोणारे, नितिश ग्वालबंशी, नितिन साठवने, स्नेहा निकोसे आदि शामिल थे.

    57 वर्षों तक मनपा के पास जिम्मेदारी

    चर्चा के दौरान शिष्टमंडल ने कहा कि भवन में अब तक कई राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा है. वर्ष 1995 तक मनपा में नौकरी के लिए इसी भवन में प्रत्यक्ष साक्षात्कार भी होते रहे है. वर्ष 1956 में 44 एकड़ अंबाझरी परिसर के 15 एकड़ पर उद्यान की निर्मिति की गई है. उसी समय से 57 वर्षों तक मनपा के पास उद्यान की जिम्मेदारी रही है. इन 57 वर्षों में लोगों से वसूला लगभग 100 करोड़ रुपए उद्यान के जतन और विकास पर खर्च किया गया. किंतु अचानक ही मनपा ने बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पारित कर महाराष्ट्र पर्यटन विकास महामंडल को अधिकार दे दिए. 

    कम्पनी पर होनी चाहिए कार्रवाई 

    शिष्टमंडल का मानना था कि वर्ष 2017 में प्रस्ताव पारित कर पूरे 44 एकड़ का अधिकार एमटीडीसी को दिया गया. किंतु एमटीडीसी ने भी स्वयं इसका विकास नहीं किया. महामंडल ने परिसर विकास के लिए टेंडर निकालकर 30 वर्षों के लिए गरुड़ा एम्यूजमेंट पार्क कम्पनी को मात्र डेढ़ करोड़ रुपए में अधिकार दे दिए. कम्पनी की ओर से बगीचे को अधिकार में लेने के बाद प्राकृतिक जैव विविधता को खत्म कर दिया है. केवल वन संपदा ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक स्मृतियों को भी खत्म करने का काम कम्पनी द्वारा किया गया है. अत: कम्पनी के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करने की मांग पार्षदों ने की.