नागपुर. अनलॉक प्रक्रिया के तहत लाकडाउन की लगभग सभी बंदियां समाप्त की जा चुकी है. यहां तक कि फ्लाइट से लेकर बसों तक को फुल सीटों पर यात्रियों के साथ परिवहन की अनुमति दे दी गई है. ऐसे में रेलवे ने 700 से अधिक राजधानी समेत एक्सप्रेस ट्रेनों को पटरियों पर उतार दिया है. हालांकि रेलवे ने अब भी पैसेंजर ट्रेनों को यार्ड में लॉक करके रखा है. ऐसे में उन आम रेलयात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जो सस्ते किराये में एक शहर से दूसरे शहर जाकर रोजी-रोटी कमाते हैं, शिक्षा ग्रहण करते हैं, व्यापार करते हैं. इनमें अधिकांश यात्री ग्रामीण क्षेत्रों के होते थे जिनके पास बसों का महंगा किराया या अपने वाहन पर महंगा पेट्रोल भराने की स्थिति नहीं रहती. कहा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए अब भी रेलवे ने पैसेंजर समेत अन्य कई ट्रेनों को बंद रखा है. लेकिन यह बात समझ से परे हैं कि यदि फ्लाइट, बसों, टैक्सी, आटोरिक्शा के अलावा एक्पप्रेस ट्रेनों में भी फुल सीटों के साथ यात्री बैठाये जा रहे हैं तो फिर पैसेंजर ट्रेनों पर ही बंदी क्यों.
एक्स. में बदली लेकिन चलेगी कब
ज्ञात हो कि रेलवे बोर्ड ने ने 20 अक्टूबर को देश के सभी रेल जोनों को करीब 300 पैसेंजर ट्रेनों को एक्सप्रेस में बदलने के आदेश दिये थे. इनमें नागपुर के तहत इतवारी-टाटानगर-इतवारी और अजनी-काजीपेठ-अजनी पैसेंजर ट्रेनें भी शामिल थी. इसके बाद आम रेलयात्रियों में उम्मीद बंधी थी कि थोड़ी महंगी ही सही लेकिन सुरक्षित आवागमन साधन तो शुरू होगा. उन्हें कम से कम बसों और टैक्सियों के जानेलवा व महंगे सफर से राहत मिलेगी. लेकिन 1 महीना बितने के बाद भी इन ट्रेनों को चलाने की कोई हलचल नजर नहीं आ रही. अभी तक रेलवे की ओर से जोन और रेल मंडलों को कोई इशारा भी नहीं किया गया है कि एक्सप्रेस में बदली गई ये पैसेंजर ट्रेनें आखिर कब चलेगी.
आम आदमी को दूर कर रही रेलवे
इन दिनों रेलवे भारी बदलाव से गुजर रही है. लाकडाउन के बाद से कोरोना के कारण हो रहे नुकसान को पूरा करने के लिए केवल स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही है जिनका किराया नियमित ट्रेनों से अधिक है. थोड़े दिनों की हिचक के बाद एक बार फिर यात्रियों ने रेलवे को अपनाना शुरू कर दिया और लोग बच्चों व परिवार समेत यात्रा करने लगे है. लेकिन ये सभी लंबी दुरियों वाले यात्री है जो आरक्षित श्रेणी में सफर करते हैं. पैसेंजर ट्रेनों को बंद रखकर रेलवे एक तरह से अपने एक बड़े आम यात्री वर्ग को अपने से दूर कर रही है.
क्या सिर्फ पैसेंजर ट्रेनें फैलायेगी कोरोना
हमारे देश में आम जनता के लिए रेलवे कितनी जरूरी है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इस निर्णय के बाद हर तरफ खुशी दिखाई दी. अक्टूबर माह में चली स्पेशल और फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों में करीब 50 प्रतिशत ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट रही. यह क्रम जारी है. इससे तय है कि कोरोना के बावजूद यात्रियों को रेलवे पर विश्वास कायम है. लेकिन अब गांवों और छोटे शहरों के यात्रियों का विश्वास रेलवे से डगमगा रहा है. सभी के मन में एक ही सवाल है कि क्या केवल पैसेंजर ट्रेनों से ही कोरोना का प्रसार होगा? जब तेजस, शताब्दी, राजधानी और सैकड़ों स्पेशल एक्सप्रेस चलाई जा सकती है तो पैसेंजर ट्रेनों में क्या बुराई है?