प्रतीकात्मक तस्वीर
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    नागपुर. कोरोना की दूसरी लहर से उबरते हुए रेलवे ने एक बार फिर अपनी सेवाओं का विस्तार भी तेजी से शुरू कर दिया है. प्रीमियम, सुपरफास्ट, एक्सप्रेस, मेल के बाद अब कई रेल मंडलों में पैसेंजर ट्रेनें शुरू की जा चुकी हैं जिससे वहां के आम रेल यात्रियों को काफी राहत मिली है. लेकिन मध्य रेल (सीआर) नागपुर मंडल में अब भी पैसेंजर ट्रेनों को यार्ड में ही लॉक करके रखा गया है. सोमवार को मध्य रेल नागपुर के पड़ोसी रेल मंडल दक्षिण मध्य रेल (एससीआर) जोन में भी पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया गया. हालांकि इन्हें एक्सप्रेस के तौर पर चलाया जाएगा लेकिन लाखों यात्रियों को सहूलियत मिलेगी.

    छोटे स्टेशन के यात्री क्या करें?

    उल्लेखनीय है कि भले ही एससीआर जोन में सोमवार से पैसेंजर शुरू की गई है लेकिन दक्षिण-पूर्व-मध्य रेल (एसईसीआर) नागपुर मंडल में करीब 1 महीने पहले ही पैसेंजर ट्रेनें शुरू की जा चुकी हैं. मध्य रेल नागपुर मंडल की बात करें तो छोटे स्टेशनों के यात्रियों को पैसेंजर ट्रेनों की कमी का सबसे अधिक नुकसान उठना पड़ रहा है. एक ओर रेलवे ने एक्सप्रेस ट्रेनों के कई स्टापेज समाप्त कर दिए हैं. इनमें अधिक मध्य और छोटे स्तर के स्टेशन हैं. कई स्टेशन  केवल नाम के ही रहे गए जहां से सिर्फ ट्रेनों को गुजरते देखा जा सकता है. एक्सप्रेस ट्रेनों के कई स्टापेज हटा दिए गए तो दूसरी तरफ पैसेंजर ट्रेनें शुरू  नहीं की जा रहीं.

    मरीजों को हो रही भारी दिक्कतें

    ज्ञात हो कि नागपुर को मध्य भारत का सबसे बड़ा मेडिकल हब माना जाता है. हर दिन हजारों की संख्या में पड़ोसी जिलों और राज्यों से मरीज इलाज कराने यहां आते हैं. हालांकि कोरोना काल में इनकी संख्या कम हुई है लेकिन दूसरी लहर पर लगाम कसते ही एक बार फिर अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीज सिटी में आने लगे हैं. इनमें भुसावल, चंद्रपुर, गोंदिया, भंडारा, भुसावल, यवतमाल जैसे शहरों और आसपास के गांवों के मरीज भी शामिल हैं. पड़ोसी राज्यों के मरीजों को नागपुर आने के लिए ट्रेनें उपलब्ध हैं लेकिन विदर्भ के अनेक शहरों और गांवों के मरीजों को एसटी बसें या प्राइवेट वाहन का खर्च वहन करना पड़ रहा है.

    बंद रखने की वजह किसी को नहीं पता

    हालांकि अभी तक यह बात किसी को नहीं पता कि मध्य रेल नागपुर मंडल में ही पैसेंजर ट्रेनों के पहिए क्यों जाम करके रखे गए हैं. रेलवे को एक्सप्रेस ट्रेनों के खचाखच भरे जनरल कोच मंजूर हैं लेकिन सुबह और शाम को एक-एक फेरी वाली पैसेंजर ट्रेनें बंद रखने की वजह किसी को नहीं पता. उधर, इस मामले में जोन और मंडल स्तर की सलाहकार समितियों की चुप्पी भी समझ से परे है.