Nagpur High Court
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    • 2 सप्ताह में जवाब दें अधीक्षक अभियंता : हाई कोर्ट
    • 15 हेक्टेयर भूमि वन विभाग को करना था हस्तांतरित
    • 0.60 आर क्षेत्र सिंचाई विभाग के अधिकार में है

    नागपुर. पेंच सिंचाई प्रकल्प को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत की ओर से पेंच के संरक्षित जंगल में कोई न रह पाए, इसके कड़े आदेश जारी किए गए थे. सिंचाई विभाग की ओर से बताया गया कि 22 अप्रैल 2009 को हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार कुल 15 हेक्टेयर भूमि वन विभाग को हस्तांतरित करना था.

    वर्तमान में 14.40 हेक्टेयर जमीन वापस की गई, जबकि 0.60 आर जमीन सिंचाई विभाग के अधिकार में होने तथा अब तक हस्तांतरित नहीं किए जाने की जानकारी उजागर होते ही हाई कोर्ट की ओर से सिंचाई विभाग अंतर्गत पेंच प्रोजेक्ट विभाग के अधीक्षक अभियंता को नोटिस जारी किया गया था.

    अधीक्षक अभियंता द्वारा शपथपत्र दायर करने के लिए समय मांगे जाने के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश सानप ने 2 सप्ताह का समय प्रदान किया. अभियंता की ओर से अधि. अमित कुकडे, सरकार की ओर से अधि. संगीता जाचक ने पैरवी की.

    म.प्र. बिजली बोर्ड को भी दिया था कारण बताओ नोटिस

    उल्लेखनीय है कि याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पूरी वन जमीन खाली करने के आदेश सभी संबंधित विभागों को दिए थे, किंतु कुछ पेंच प्रकल्प के रखरखाव के लिए कुछ अधिकारी और कर्मचारियों की आवश्यकता बताते हुए अलग-अलग विभागों ने संरक्षित वन जमीन खाली करने को लेकर जारी आदेशों में राहत की मांग की थी.

    किंतु अदालत ने इसे दरकिनार कर सिंचाई विभाग, पेंच प्रकल्प के मुख्य अभियंता तथा मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड के मुख्य अभियंता को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया था. आदेश का पालन नहीं किए जाने से उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए, इसे लेकर तीनों को स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए गए थे. साथ ही अदालत ने पेंच के संरक्षित वन क्षेत्र के किस हिस्से में कौनसे विभाग के कर्मचारी डटे हुए हैं इसकी जानकारी के साथ हलफनामा दायर करने के आदेश वन विभाग को दिए थे. 

    वन क्षेत्र के बाहर जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव

    गत सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने अदालत को बताया था कि पेंच प्रकल्प की देखभाल और दुरुस्ती के लिए आवश्यक अधिकारी और कर्मचारियों को रहने के लिए आवास और अन्य सुविधाओं के मद्देनजर वन क्षेत्र के बाहर जमीन अधिग्रहण करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. सरकारी पक्ष का मानना था कि हाई कोर्ट के आदेशों के चलते महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रीसिटी जनरेशन कम्पनी, मध्य प्रदेश इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड और सिंचाई विभाग को डैम के रखरखाव करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

    इन विभागों के कर्मचारियों को रहने के लिए आवास तैयार किए गए हैं किंतु आदेश में इसे खाली करने को कहा गया है. मानसून में डैम की 24 घंटा देखभाल रखने के लिए पूरे समय कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है. सरकार की इस कार्यप्रणाली की अदालत ने प्रशंसा तो की थी किंतु संरक्षित वन क्षेत्र के भीतर कोई नहीं रहेगा इसके आदेश जारी किए थे.