Corona Death
File Photo : PTI

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    नागपुर. सिटी ने इतनी विदारक स्थिति का शायद ही कभी सामना किया होगा. कोरोना की दूसरी वेव ने एक तरह से तहलका मचा दिया है और उसकी विकरालता के सामने प्रशासन लाचार हो गया है. मरीजों को अस्पतालों में ऑक्सीजन वाले बेड तो मिल ही नहीं रहे हैं, जिसके चलते जो मरीज अपने घरों पर ही ऑक्सीजन लगाकर मरीज का उपचार करवाने को मजबूर हैं उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर तक प्रशासन उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है. नतीजा यह हो रहा है कि बिना ऑक्सीजन के कोरोना के मरीज तड़प-तड़प कर घरों में बेमौत मारे जा रहे हैं. प्रशासन और सरकार की पूरी व्यवस्था हवा-हवाई हो गई है. हकीकत भयानक है. लोगों में प्रशासन, सरकार, नेताओं के प्रति आक्रोश सुलग रहा है लेकिन वे भी मजबूर हैं और भीतर ही भीतर हताश हो रहे हैं.

    सिक्योरिटी गार्ड बता रहे बेड नहीं

    सरकारी अस्पतालों में तो ऑक्सीजन व वेंटिलेटर वाले बेड की कल्पना भी नहीं की जा सकती और निजी अस्पताल भी अब हाथ खड़े कर चुके हैं. हालात यह है कि रात-रात भर अपने परिवार के पीड़ित सदस्य के लिए परिजन एक से दूसरे अस्पताल भटक-भटक कर बेड खाली होने की आस में पहुंच रहे हैं और निजी अस्पतालों के बंद गेट के भीतर से ही सिक्योरिटी गार्ड उन्हें यह बताकर लौटा रहे हैं कि बेड खाली नहीं है किसी दूसरे अस्पताल जाकर देख लो. जान-पहचान, पैसा, पावर कुछ भी काम नहीं आ रहा है. जनप्रतिनिधि फोन तो उठा रहे हैं लेकिन सहयोग नहीं कर पा रहे हैं. कुछ डॉक्टर्स तो खुद ही हेल्पलेस महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है कि सुविधा ही नहीं है तो वे कैसे उपलब्ध करवा सकते हैं. अस्पतालों में जगह नहीं मिलने के चलते परिजन घर पर ही ऑक्सीजन की व्यवस्था करने का प्रयास कर रहे हैं तो उन्हें वह भी नहीं मिल रहा है. बिना ऑक्सीजन के अपनी आंखों के सामने परिवार के सदस्य को हमेशा के लिए आंखें बंद करता देख उन पर क्या बीत रही होगी इसकी कल्पना कर ही रोम-रोम सिहर उठता है.

    जब प्यास लगी तब कुंआ खोदने की नीति

    कोरोना की पहली लहर जब कुछ शांत हुई थी तभी से विशेषज्ञों ने दूसरी विकराल लहर आने का संकेत कर दिया था. सरकार को इसकी जानकारी थी लेकिन बावजूद इसके किसी तरह की व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया गया. अब जब लोग मर रहे हैं तब स्थानीय प्रशासन और नेताओं को ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट के निर्माण और रेमडेसिविर इंजेक्शन का कारखाना खोलने का होश आया है. कोविड सेंटरों में बिना ऑक्सीजन के बेड लगाए जा रहे हैं जबकि ऑक्सीबेड की सर्वाधिक जरूरत है. जब प्यास लगी तब कुंआ खोदने की नीति पर चलने वाली सरकार, प्रशासन अब खुद ही हालातों के सामने लाचार नजर आ रहे हैं. समय पर सही नियोजन और दूरदर्शिता से कदम उठाये गए होते तो सैकड़ों परिवार में मौत का मातम नहीं छाया होता.

    सिलेंडर की भी ब्लैकमार्केटिंग

    रेमडेसिविर की किल्लत के चलते उसकी कालाबाजारी तो जोरों पर चल ही रही है लेकिन अब ऑक्सीजन सिलेंडर की भी ब्लैकमार्केटिंग शुरू कर दी गई है. आपदा को अवसर बनाने वाले लालची किस्म के संबंधित व्यवसायियों ने लोगों की जान बचाने में सहयोग की जगह जीवन देने वाली हवा को बेचकर जेबें भरने का गोरखधंधा शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र विकास मंच के अध्यक्ष कार्तिक लारोकर ने बताया कि इतनी किल्लत हो गई है कि सिलेंडर तो अब किराये पर मिलने बंद हो गया है. सिलेंडर विक्रेताओं में कुछ तो इसे ब्लैक में बेचने लगे हैं. अनापशनाप रेट बताया जा रहा है. उस पर भी तत्काल उपलब्ध नहीं है.

    रेमडेसिविर इंजेक्शन के तुमसर से नागपुर आए एक जरूरतमंद ने बताया कि उनके मामा के लिए यह चाहिए थे जिसके लिए 24 हजार रुपये की मांग की गई. एक अन्य ने तो यह सनसनीखेज जानकारी दी कि 32,000 रुपये में एक रेमडेसिविर बेचा जा रहा है. इस संदर्भ जिलाधिकारी कार्यालय ने एक तरह से अपने हाथ खड़े कर दिये हैं. प्रशासन का कहना है कि 11 हजार की मांग की थी लेकिन मात्र 3,000 ही मिला है ऐसे में क्या किया जा सकता है. घर में जो गंभीर मरीज उपचार करवा रहे हैं उनकी संख्या भी 7-8 हजार के आसपास है. जिला प्रशासन के पास तो इनकी सूची तक नहीं होगी. इन्हें इंजेक्शन व ऑक्सीजन की आपूर्ति की सरल व सुचारू व्यवस्था नहीं है.

    मनमानी पर रोक लगाएं : इरशाद

    इधर, जिला कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग का एक प्रतिनिधिमंडल शहर अध्यक्ष इरशाद अली के नेतृत्व में जिलाधिकारी रवीन्द्र ठाकरे से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने कोरोना संक्रमित मरीज जो हॉस्पिटल में बेड न मिलने की वजह से घरों में उपचार करने को मजबूर हैं, उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिलने पर हो रही परेशानी को लेकर अवगत कराया. ऑक्सीजन विक्रेताओं की मनमानी पर रोक लगाने की मांग की. साथ ही अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड बढ़ाने की मांग की. इरशाद ने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट से ऑक्सीजन देना बंद कर दिया गया है और प्रशासन ऑक्सीबेड की पर्याप्त व्यवस्था नहीं कर पा रहा है. जिसके चलते मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. जिलाधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए दो-तीन दिन में पूरा व्यवस्था को पूर्ण रूप से सुचारू करने का आश्वासन प्रतिनिधिमंडल को दिया. इस दौरान हाजी मोहम्मद समीर, रिज़वान रूमवी, सत्यम सोडगिर उपस्थित थे.