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  • शहर में भी गांव से बदतर हालत

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नागपुर. ऑरेंज सिटी की सीमा से सटे सैकड़ों जरूरतमंद नागरिक लेआउट विक्रेताओं से भूखंड लेकर बुरी तरह फंस गए हैं. ऐसे नागरिकों के भूखंडों की रजिस्ट्री रुकी पड़ी है तो दूसरी ओर स्थानीय ग्राम पंचायतें और प्रशासन इन्हें कोई भी प्राथमिक सुविधा देने को तैयार नहीं है. लेआउट विक्रेताओं ने यहां पर ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए सिर्फ मामूली रास्ते बनाकर छोड़ दिए हैं. नागपुर मनपा की सीमा से सटे बेसा बेलतरोड़ी, पारडी क्षेत्र, वाठोड़ा इलाका, हिंगना रोड, वर्धा रोड, हजारी पहाड़, गोधनी इलाका, नारा- नारी, उप्पलवाड़ी, खसाड़ा-मसाड़ा, कवठा, भीलगांव, कलमना आदि क्षेत्र में ऐसे हजारों भूखंड धारक हैं जिन्होंने स्टाम्प पेपर पर जमीन खरीद रखी है.

यहां रहने वाले नागरिक दूरस्थ ग्रामीणों से भी बदतर जीवन जी रहे हैं. इन इलाकों में रास्तों के नाम पर सिर्फ पुराने बोल्डर, गिट्टी और मुरुम के रास्ते हैं. जब से इन रास्तों को बनाया गया है उसके बाद से अब तक इन मार्गों से लगकर पूरी बस्ती बन चुकी है और सैकड़ों लोगों का आना-जाना होता है. इससे रास्ते नीचे दबकर भूखंडों के बराबरी में आ गए हैं और बरसात के दिनों में कीचड़ से सने हुए हैं लेकिन नागरिकों को सुनने वाला कोई भी तैयार नहीं है.

विक्रेता गायब,प्रशासन कह रहा क्यों खरीदा प्लाट 

नागपुर सिटी के भीतर हजारों परिवारों के पास अपना घर नहीं है. लोग किराये पर रहते हैं और एक घर से दूसरे घर अपना गृहस्थी का सामान ढोते उनकी कमर टूट जाती है. पीएमएवाय की योजना इस समस्या के सामने ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ की तरह है. शहर के भीतर मकान फ्लैट खरीदने की हैसियत नहीं होने के कारण हजारों परिवार शहर के बाहरी क्षेत्रों में किश्त पर प्लॉट खरीद रहे हैं. इस जरूरत को देखते हुए सैकड़ों लेआउट विक्रेताओं ने अपने लेआउट डालकर रखे हैं. जरूरतमंद लोग जैसे-तैसे किश्त पर प्लॉट खरीदकर इन पर छोटे- छोटे मकान या झोपड़े बनाकर रह रहे हैं.

लेआउट विक्रेता का लेआउट मान्य या है नहीं, इस विषय में प्रशासन की ओर से आम नागरिकों को जानकारी देने के लिए कोई मंच नहीं है. ऐसे में शहर के सैकड़ों लेआउट विक्रेता भूखंड गरीबों को थमाकर गायब हो चुके हैं. अब प्रशासन यहां पर बिजली, पानी और रोड आदि कोई भी सुविधा देने को तैयार नहीं है. नागरिकों द्वारा सुविधाओं की मांग करने पर अधिकारियों का जवाब है कि यहां प्लॉट क्यों खरीदा. नागपुर सिटी के भीतर कुछ ऐसे इलाके हैं जहां अच्छी सड़कों को बार-बार उखाड़कर बार-बार डामरीकरण और सीमेंटेशन किया जा रहा है. फुटपाथ के पुराने गट्टू को निकालकर फिर से नए लगाए जा रहे हैं लेकिन शहर के रिंग रोड से बाहर नई बसाहटों में सालों साल गुजरने के बाद भी सड़क, नाली, बिजली कनेक्शन, सफाई की समस्या बनी हुई है. 

घर बनाने नहीं मिल रहा लोन

भूखंडों की रजिस्ट्री नहीं होने से नागरिकों को लोन नहीं मिल रहा है, इससे लोग भूखंड होने के बावजूद अपना मकान नहीं बना पा रहे हैं. शहर की सीमा से बाहर बड़ी संख्या में नौकरी से रिटायर होने वाले दंपतियों ने भी प्लॉट खरीदे हैं लेकिन रजिस्ट्री नहीं हुई है. सरकार बैंक लोन देने से पहले रजिस्ट्री, एनए-टीपी और घर का नक्शा आदि कागजाद मांगते हैं जबकि बहुत सारे निजी बैंक सिर्फ रजिस्ट्री पर ही लोन दे देते हैं. लेकिन स्टांप पेपर पर कब्जा दिखाने से लोगों को न तो सरकार और न ही निजी बैंक से होम लोन मिल पा रहा है.