सब्जी बाजार में जमकर चल रहीं प्लास्टिक थैलियां

  • सरकारी नियमों की उड़ीं धज्जियां, संबंधित विभाग के बेपरवाही का नतीजा

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नागपुर. शासन ने प्रदूषण पर नियंत्रण रोकने के लिए प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन नागपुर शहर और जिले भर में प्लास्टिक थैलियों का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है. इस प्लास्टिक थैलियों के कारण प्रदूषण रुकने का नाम नहीं ले रहा है. शहर भर में अनेक नालियों और गटर में प्लास्टिक थैलियों का कचरा फंसने से गंदा पानी नालियों में जाम हो रहा है जिससे गंदगी फैल रही है.

लोग सब्जियों और फलों के साथ अपने घरों में ये थैलियां लेकर आते हैं घर की त्यक्त वस्तुएं जैसे फलों, सब्जियों के छिलके, ब्रेड, रोटी, चावल आदि बचे पदार्थ भरकर फेंद देते हैं. भूखे जानवर इन्हें खाते हैं और इनके चिथड़ों को रास्तों पर ही छोड़ देते हैं. इस कारण स्वच्छता के अभियान पर रोड़े अटक रहे हैं. जिले भर में प्लास्टिक पाबंदी सिर्फ कागजों पर ही नजर आ रही है. रास्तों के किनारे, शहर और कस्बों के कोनों पर प्लास्टिक पन्नियों का कचरा पड़ा हुआ है.

विक्रेताओं, उत्पादकों पर कठोर कार्रवाई करें

महाराष्ट्र कचरा नियंत्रण अधिनियम 2006 के तहत राज्य में प्लास्टिक थैलियों पर पाबंदी लगाई गई है. इसके बाद सरकार ने इस कानून को कड़ा बनाया था. इसके अनुसा 50 माइक्रॉन से कम मोटाई और 8 से 12 सेमी से कम ऊंचाई के आकार वाली प्लास्टिक थैलियों के उपयोग, विक्रय और उत्पादन पर पाबंदी लगा दी गई है. लेकिन नागपुर शहर और जिले के ग्रामीण क्षेत्र में नियम का कोई भी पालन करते दिखाई नहीं दे रहा है. छोटे- बड़े व्यापारी, कुछ दवा विक्रेता, फल और सब्जियां बेचने वाले खुलकर प्लास्टिक थैलियों का उपयोग कर रहे हैं. कम मोटाई की थैलियां सड़ती नहीं हैं. उपयोग करो और फेंको, ऐसी गुणवत्ता वाली थैलियों के कारण सार्वजनिक स्थानों पर कभी न खत्म होने वाली गंदगी ने कब्जा जमा लिया है.

प्लास्टिक थैलियों के कारण सब तरफ प्लास्टिक थैलियों की गंदगी नजर आ रही है. जहां प्लास्टिक थैलियों का कचरा पड़ा है वहां पर से जमीन का पानी भी वाष्पीकरण होकर बाहर नहीं निकलता जिससे वहां नमी बनी रहती है. इस कारण यहां मच्छरों का ठिकाना बना हुआ है. प्लास्टिक थैलियों का कचरा जानवरों और पौधों दोनों के लिए अत्यंत घातक है. लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारी इस दृश्य को जानने के बावजूद अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाह बने हुए हैं. नागरिकों ने मांग की है कि केवल औपचारिकता के लिए नहीं बल्कि आम जनता के हित में प्लास्टिक प्लास्टिक थैलियों में सामान भरकर बेचने वाले और उत्पादकों पर कठोर कार्रवाई करें.

कचरा प्रबंधन भी हो रहा कठिन

प्लास्टिक थैलियों के उपयोग के कारण पैदा हो रही समस्या में कचरा प्रबंधन भी मुख्य है. प्लास्टिक विघटित नहीं होने वाला पदार्थ है. कचरा संकलन के दौरान गीले या विघटनीय कचरा और प्लास्टिक थैलियों का न सड़ने वाला दोनों तरह का कचरा आता है. प्रक्रिया के दौरान प्लास्टिक थैलियों का कचरा अलग करने में भी परेशानी होती है. इससे भूगर्भीय पानी भी प्रदूषित होता है. कुछ समय पहले प्लास्टिक पर छापामार कार्रवाई भी की जा रही थी. लेकिन यह मुहीम ठंडी पड़ने से अब प्लास्टिक उत्पादक व कारोबारी फिर सक्रिय हो गए हैं.