Nagpur High Court
File Photo

    Loading

    • 2.02 लाख की एक फ्लैट में की चोरी
    • 59,000 की दूसरे फ्लैट में भी धांधली

    नागपुर. बिजली विभाग के कर्मचारियों को नियमित प्रक्रिया के अनुसार मीटर रीडिंग करते समय बिजली चोरी होने की आशंका हुई. जांच के बाद 2 अलग-अलग फ्लैट में बिजली चोरी होने का खुलासा हुआ. आकलन के बाद विभाग की ओर से एक फ्लैट में 2,02,390 रु. तथा दूसरे फ्लैट में 59,590 रु. की चोरी होने के कारण दोनों प्लैट के लिए संशोधित बिल दिए गए. इस पर आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने कानून और नियमों के अनुसार अधिकारियों को बिजली चोरी का आकलन करने का अधिकार होने का हवाला देते हुए याचिककर्ता को 3 दिनों के भीतर विभाग के पास रकम जमा कराने के आदेश दिए. राशि जमा कराने के बाद प्रतिवादी पक्ष बिजली विभाग को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश भी दिए. 

    …तो बिजली होगी पुनर्स्थापित

    अदालत ने आदेश में कहा कि यदि याचिकाकर्ता की ओर से दोनों फ्लैट के लिए जारी किए गए बिल के अनुसार राशि जमा की जाती है तो इलेक्ट्रिसिटी एक्ट की धारा 135 (1-ए) के अनुसार बिजली पुनर्स्थापित करने के आदेश विभाग को दिए. याचिकाकर्ता का मानना था कि बिल प्रेषित करते समय कानून की धारा 126 के अनुसार प्राथमिक असेसमेंट नहीं किया गया जिससे उपभोक्ताओं को दिए अधिकार का हनन हुआ है. सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐसे मामलों को लेकर जारी किए फैसलों का भी हवाला दिया गया. याचिकाकर्ता का मानना था कि बिजली चोरी के मामले में एक्ट की धारा 135 में कार्यवाही की पूरी प्रक्रिया निर्धारित है लेकिन निर्धारित प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया गया. 

    बिजली पाने का अभियुक्त को अधिकार

    दोनों पक्षों की लंबी दलीलों के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि वर्तमान में कानून के अनुसार जितनी भी बिजली चोरी होती है उसे लेकर डिमांड देने का अधिकार अधिकारियों को है. यहां तक कि बिजली चोरी की कीमत भी तय करने का अधिकार अधिकारियों को प्रदत्त है. नियमों के अनुसार प्रक्रिया में उपभोक्ता को बिजली पाने का अधिकार भी तय है. इसके अलावा निधि जमा कराने का भी अधिकार है. अदालत ने आदेश में कहा कि असेसमेंट के संदर्भ में उत्पन्न आपत्ति को लेकर विचार याचिका पर सुनवाई के अंत में किया जाएगा.