नागपुर. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने भारत में कहर मचाया हैं। इस वायरस से देश में बड़ी संख्या में जनहानि हुई हैं। यह पहली बार हुआ है कि, देश में इस तरह की महामारी से इतने ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाईं। इस जानलेवा वायरस का प्रसार रोकने के लिए देश में सोमवार से लॉकडाउन का पांचवा चरण शुरू हो रहा है। फिर भी कोरोना के मामलों में कमी नहीं दिखाई दे रही है।
वहीं इस लॉकडाउन के दौरान सभी उद्योग, सरकारी और निजी कार्यालय समेत अन्य व्यापार बंद है। इसका सीधा आसार देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, जो पहले से ही बुरी हालत में थी। आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए और कोविड-19 के बाद सरकार को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यह चुनौतियां कैसी होगी, इसे निपटने के लिए क्या योजनाएँ रहेगी इस पर विस्तृत से चर्चा करने आ रहे है महाराष्ट्र के दिग्गज और विधान परिषद के विरोधी पक्ष नेता प्रवीण दरेकर। वे नवभारत के ‘कोविड-19 ई-चर्चा’ पर नवभारत फेसबुक के माध्यम से 1 जून को दोपहर 3:30 बजे जनता को लॉकडाउन से आने वाली चुनौतियों से अवगत कराएंगे।
प्रवीण दरेकर एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। उनका जन्म 13 अक्टूबर 1968 को रायगढ़ में हुआ। उन्होंने अपनी पढाई बी.कॉम में की हैं। वे पेशे से एक व्यवसायी (डेवलपर) हैं। वर्तमान में दरेकर विधान परिषद के विरोधी पक्ष नेता और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी शिवसेना की छात्र शाखा, भारतीय विद्यार्थी सेना (बीवीएस) से की, लेकिन महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) की स्थापना के बाद उन्होंने शिव सेना को अलविदा कहा और मनसे में शामिल हो गए। मनसे ने 2009 के विधानसभा चुनाव में दरेकर को टिकट दिया और वे मागाठणे (मुंबई) से विधायक के रूप में निर्वाचित हुए। साल 2014 में उन्होंने फिर से चुनाव लड़ा लेकिन मोदी लहर के चलते उनकी हार हुई।
मनसे की लगातार गिरती लोकप्रियता और नाकामी के बाद उन्होंने मनसे को अलविदा कहा और भाजपा में शामिल हो गए। 2016 में दारेकर को विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुना गया था। साथ ही उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया।
वहीं दरेकर मुंबई बैंक के चुनाव में अध्यक्ष पद पर चुने गए थे। दरेकर किताबें पढ़ने और पुराने गाने सुनने के भी बड़े शौकीन हैं।