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  • 15 दिन भी नहीं बीते और स्कूलों का मैसेज भेजना शुरू

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नागपुर. सरकार द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देश के बाद भी निजी स्कूलों द्वारा फीस के लिए पालकों को परेशान किया जा रहा है. अभी आन लाइन क्लासेस शुरू होकर 15 भी दिन नहीं हुये है और स्कूलों द्वारा फीस जमा करने के लिए मैसेज भेजे जा रहे हैं. इतना ही नहीं फीस नहीं भरने पर प्रवेश कैंसल किये जाने की भी बात कही जा रही है. इस संबंध में शिक्षा विभाग भी पूरी तरह से आंखें बंद किये हैं. यही वजह है कि पालकों की परेशानी बढ़ती जा रही है.

सरकार ने स्कूलें शुरू होने के बाद ही पालकों से फीस ली जाये. फिलहाल निजी स्कूलों द्वारा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों की आन लाइन क्लासेस ली जा रही है. वहीं 9वीं तक के छात्रों को वाट्स पर लेशन सहित होम वर्क भेजा जा रहा है. कुछ स्कूलों ने नियमित रुप से फीस में वृद्धि भी की है. वहीं कुछ स्कूलों ने फीस नहीं बढ़ाई है. पालकों का कहना है कि स्कूलें पूरी तरह से बंद है. कई जगह शिक्षकों को आधा तो कुछ जगह कुछ भी वेतन नहीं दिया जा रहा है.

वाहन चालक, वाहक दोनों का वेतन बंद कर दिया गया है. नॉन टिचिंग भी कम कर दिये गये हैं. बिजली की खपत कम हो गई. सफाई, पानी जैसी सुविधा भी बंद है. इस हालत में स्कूलों द्वारा पिछले वर्ष की तरह ही फीस कैसे वसूल की जा सकती है. शिक्षक अपने-अपने घरों से आन लाइन क्लासेस ले रहे हैं. आन लाइन क्लासेस की वजह से पालकों का खर्च बढ़ गया है. स्मार्ट फोन सहित लैपटाप और कम्प्यूटर खरीदना पड़ा है. 

इसके बाद भी पालकों से फीस के लिए सख्ती उचित नहीं है. कुछ स्कूलों ने पालकों से पहली किश्त नहीं भरने पर पैनाल्टी भी वसूलने का निर्णय लिया है. पालकों का कहना है कि लाकडाउन की वजह से नौकरी खतरे में पड़ गई है. निजी संस्थाओं में कार्य करने वालों के वेतन में कटौती सतत रुप से जारी है. इतना ही नहीं कई लोगों की तो नौकरी भी चली. इस हालत में स्कूल की फीस भरना मुश्किल हो रहा है. अधिकांश पालकों का कहना है वे फीस भरने को तैयार है, लेकिन जब स्कूलों का खर्च कम हो गया है तो उन्हें फीस भी कम करना चाहिए.

अगले 2-3 महीने तक स्कूल खुलने की कोई गुंजाइश दिखाई नहीं दे रही है. अनेक स्कूलों द्वारा अंतिम किश्त भी मार्च से पहले ही वसूल कर ली गई थी. इस हालत में स्कूलों का कोई नुकसान नहीं हुआ है. 7-8 वीं के बच्चों में आन लाइन शिक्षा को लेकर गंभीरता नहीं है. इसके बावजूद स्कूलों द्वारा बच्चों सहित पालकों पर दबाव बनाया जा रहा है. इस संबंध में अनेक पालकों ने शिक्षा विभाग में शिकायत भी की, लेकिन अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं.