Railway Workers
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  • केन्द्र सरकार करेगी भुगतान

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नागपुर. रेलवे ने निर्णय लिया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा) के तहत वह मजदूरों को काम देगा. इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. इसका सबसे ज्यादा फायदा प्रवासी मजदूरों को होगा जो कोरोना के कारण अपने-अपने घर चले गये हैं. हालांकि इनके अलावा अब स्थानीय स्तर पर भी मजदूरों को काम मिलेगा.

मनरेगा के तहत रेलवे ग्रामीण और शहर के रेलवे स्टेशन के निर्माण कार्य से लेकर लेवल क्रॉसिंग, पटरियों के आस-पास की सफाई, मिटी-गिट्टी की भराई, सफाई और पौधारोपण जैसे काम कराएगा. ज्ञात हो कि लाखों प्रवासी मजदूरों के पलायन से हर रेल मंडल अपनी अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए मजदूरों की कमी की समस्या आ रही है. ऐसे में मनरेगा रेलवे और मजदूरों के लिए संजीवनी बनेगी.

रेलवे की ओर कहा गया है कि ट्रेन, पटरी, स्टेशन के संरक्षा से जुड़े सभी कामों को वह अपने अनुभवी कर्मचारी और मशीनों के माध्यम से ही पूरा कराएगा. लेकिन इन कामों से जुड़े अन्य छोटे-छोटे कामों को वह मनरेगा के जरिए मजदूरों से भी करा सकता है. रेलवे की प्राथमिकता में संरक्षा सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, जिसे अब तक वह अपने रनिंग स्टॉफ से ही कराता है. इसके साथ रेलवे के पास संरक्षा के कामों के लिए आधुनिक मशीनें भी मौजूद हैं. खास बात है कि मनरेगा के तहत काम करने वाले इन मजदूरों को भुगतान रेलवे को नहीं करना होगा. बल्कि मजदूरों को उनका पारिश्रमिक केन्द्र सरकार द्वारा सीधे उनके खाते में जमा कराया जायेगा. 

सभी जोन को दिए निर्देश 
इस बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सभी रेल जोन के महाप्रबंधकों को निर्देश दिया है कि जोन अपनी सीमा में चल रहे कार्यों को मनरेगा के तहत कराए. इसके लिए वह राज्य सरकार और जिला प्रशासन के साथ समन्वय करें. आंकड़ों के अनुसार, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के नए आंकड़ों के मुताबिक मनरेगा के तकरीबन 3.5 करोड़ परिवार के लगभग 4.89 करोड़ लोगों ने मई माह में मनरेगा के तहत काम मांगा है. यह अब तक के रिकार्ड में सर्वाधिक है. इसकी वजह है कि कोरोना की वजह से बड़ी संख्या में अन्य शहरों से अपने गांव में मजदूरों ने पलायन कर लिया है.