Rajkumar Tiger, Gorewada Zoo

  • दिसंबर के अंत में शुरू होगी इंडियन सफारी

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नागपुर. देरी से सही लेकिन गोरेवाड़ा आंतरराष्ट्रीय प्राणिसंग्रहालय में इंडियन सफारी शुरू करने की प्रक्रीया तेज हो गई है. शुक्रवार को पहली बार राजकुमार नामक एक नर बाघ को बचाव केन्द्र से गोरेवाड़ा जू में शिफ्ट किया गया. केन्द्रीय प्राणीसंग्रहालय प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा शिफ्टिंग की अनुमती मिलते ही. सबसे पहले राजकुमार बाघ को अंदर छोड़ा गया. एनटीसीए की गाइडलाइन के अनुसार राजकुमार को आने वाले 5 वर्ष 6 महीने के लिए जू में शिफ्ट किया गया है.

दिसंबर के अंतिम सप्ताह में जू का उद्घाटन किये जाने की संभावना है, इस लिए एफडीसीएम पूरी तैयारी करने में जूटा हुआ है. शिफ्टिंग की र्कारवाई संचालक वन्यप्राणी संशोधक डॉ. गिरीश उपाध्ये, विभागीय व्यवस्थापक प्रमेाद पंचभाई के मार्गदर्शन में उपसंचालक डॉ. व्ही.एम. धुत, पशुवैद्यकीय अधिकारी डॉ. शालीनी ए.एस, डॉ. मयूर पावशे, डॉ. सुजित कोलंगथ, विजय सुर्यवंशी, एच.व्ही. माडभूषी, एन.एस.भोगे ने की.

तेंदुआ, भालू समेत 15 वन्यजीवों करेंगे शिफ्ट

प्रमोद पंचभाई ने बताया कि सिटी से कुछ ही किलो मीटर की दूरी पर 451 करोड़ रुपये की लागत से 564 हेक्टर परिसर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का जू बनाया जा रहा हैं. पहले चरण में गोरेवाड़ा में पर्यटकों के लिए इंडियन सफारी शुरू किये जाने की तैयारी जोरों पर चल रही हैं. परिसर में 25 हेक्टर के 4 एन्कोजर बनाए गए है. इसमें बाघ, तेंदुआ, भालू और हिरण को रखा जाएगा.

फिलहाल तो जू में 1 बाघ, 1 बाघिन, 2 नर तेंदुए, 5 मादा तेंदुए, 3 नर भालू और 3 मादा भालू समेत कुल 15 वन्यजीवों को बारी-बारी से छोड़ा जाएगा. राजकुमार से इसकी शुरूआत की गई है. वन्यजीव जू में बनाए गए एन्कोजर में रह सके इस की पूरी व्यवस्था की गई है. बाघ को छोड़ने के बाद वन विभाग की पूरी टीम 24X7 इसकी निगरानी करेगी. बाघ की हर गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी. सब कुछ सही  चलता रहा तो जल्द ही पर्यटकों के लिए जू का खोल दिया जाएगा. 

गेट में लगे सेन्सर

इंडियन सफारी के लिए परिसर में 4 एन्क्लोजर का निर्माण किया गया है. प्रति 25 हेक्टेयर परिसर में 4 एन्क्लोजर का निर्माण किया गया है. इंडियन सफारी में डेढ़ से 2 किलोमीटर की सफारी ट्रैक बनाई गई हैं. सभी एन्क्लोजर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. पर्यटक बंद गाड़ी में वन्यजीवों का आनंद उठा सकते हैं. पर्यटकों और वन्यजीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीजेडए के नियमों अनुसार एन्क्लोजर का निर्माण किया गया है. इसके अलावा एन्क्लोजर में मानव व वन्यजीव संघर्ष की परिस्थिति को टालने के लिए आधुनिक उपकरणों को लगाया गया हैं. एन्क्लोजर  के गेट सेन्सर और रिमोट से ही खुलेंगे.