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नागपुर. मनपा कर्मचारियों के खाते से जीपीएफ और डीसीपीएस की कटौती के नाम पर 125 करोड़ रु. तो निकाल लिए गए, किंतु निधि संबंधित कर्मचारियों के खाते में जमा नहीं की गई. यहां तक कि इसके ब्याज के रूप में 50 करोड़ रुपए मनपा को देना है. तत्कालीन मुख्य वित्त व लेखा अधिकारी मदन गाडगे की प्रतिनियुक्ति के कार्यकाल में निधि की इस तरह से धांधली हुई है.

अत: इसकी जांच कर न केवल पुलिस में मामला दर्ज किया जाए, बल्की निधि ब्याज के साथ जमा करने की मांग राष्ट्रीय नागपुर कार्पोरेशन एम्प्लाइज एसोसिएशन ने की. गुरूवार को इसके अलावा अन्य मांगों को लेकर मनपा मुख्यालय में आंदोलन करने की जानकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेन्द्र टिंगने, महासचिव रंजन नलोडे और कोषाध्यक्ष प्रवीण तंत्रपाले ने दी.

हर माह 5 तारिख को मिले वेतन-पेंशन
पदाधिकारियों का मानना है कि आर्थिक तंगी का हवाला देकर गत अनेक माह से मनपा कर्मचारियों को समय पर वेतन और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन का भुगतान नहीं हो रहा है. कोरोना के इस संकटकाल में ये वर्ग भी त्रास्दी से गुजर रहा है. जिससे कर्मचारियों को समय पर वेतन और पेंशन का भुगतान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कई मांगों को लेकर संगठन लंबे समय से आंदोलन करते आ रही है. कई बार प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा गया.

यहां तक कि स्मरण पत्र भी दिए गए. किंतु प्रशासन के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है. एक ओर जहां मनपा कर्मचारियों के 6वें वेतन आयोग के अनुसार 59 माह का बकाया है, वहीं 7वां वेतन आयोग भी लागू नहीं किया गया. जबकि मनपा ने 31 दिसंबर 72 को ही सरकार की मंजूरी के अनुसार वेतन आयोग लागू करने का निर्णय लिया था. दोपहर 1.30 बजे होनेवाले प्रदर्शन में सभी कर्मचारियों को उपस्थित रहने की अपील भी उन्होंने की.