नागपुर. कोरोना के दूसरे लहर के खतरे को देखते हुए मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी. ने 13 दिसंबर तक मनपा क्षेत्र की सभी शालाओं को बंद रखने का आदेश जारी किया है. अब सभी शालाएं आगामी आदेश तक बंद रखी जाएंगी. बताते चलें कि दो दिन पूर्व ही राज्य सरकार के आदेशानुसार सिटी सहित जिले भर में 23 नवंबर से 9वीं से 12वीं तक शालाएं और जूनियर कालेज खोलने की तैयारी तेजी से हो रही थी लेकिन अब शालाएं व जूनियर कालेज 13 दिसंबर तक बंद रखे जाएंगे. इस निर्णय से ही कोरोना के बढ़ते संक्रमण का अंदाजा लगाया जा सकता है. आयुक्त ने अपने आदेश में दिल्ली सहित कुछ राज्यों में कोरोना के दोबारा बढ़ते हुए संक्रमण का जिक्र किया है. उन्होंने कहा है कि अपने राज्य व शहर में भी दीवाली उत्सव के बाद साथरोग के प्रसार को रोकने के लिए विशेष उपाययोजना करने व सावधानी बरतने की आवश्यकता है.
आनलाइन स्टडी रहेगी जारी
आयुक्त ने अपने आदेश में कहा है कि सभी मनपा क्षेत्र की सभी शालाएं 13 दिसंबर तक बंद रहेंगी लेकिन विद्यार्थियों की आनलाइन स्टडी सरकार द्वारा जारी मार्गदर्शक सूचना के अनुसार पूर्ववत जारी रहेगी. इसके अलावा महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक परीक्षा मंडल की पूर्व नियोजित पूरक परीक्षाएं चल रही हैं वह भी शुरू रहेगी. उन्होंने शाला प्रबंधनों को चेतावनी भी दी है कि अगर आदेश का उल्लंघन या विरोध किया गया तो उनके खिलाफ आपदा एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी.
250 शिक्षकों की कोविड जांच
23 नवंबर से 9वीं से 12वीं की कक्षाएं शुरू करने की तैयारी भी जोरों से चल रही थी. मनपा शाला के 250 टीचरों का शनिवार को कोरोना टेस्ट भी किया गया जिसमें 1 पाजिटिव भी निकले. पहले आदेश में 20 नवंबर तक जिले के सभी शिक्षकों के कोरोना टेस्ट करने को कहा गया था. शालाओं को थर्मल मीटर, सेनिटाइजर आदि की व्यवस्था करने को कहा गया था. अधिकतर तैयारी हो चुकी थी.
शालाओं को किया सेनिटाइज
शाला खोलने के आदेश के बाद मनपा की सभी शालाओं को पूरी तरह सेनिटाइज करने का काम भी युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया था. शनिवार को सुरेन्द्रगढ़ स्कूल, बस्तरवाड़ी माध्यमिक शाला स्कूल, आरबीजीजी हिन्दी माध्यमिक हाईस्कूल, हनुमाननगर की लाल बहादुर शास्त्री स्कूल, पेंशननगर ऊर्दू हाईस्कूल सहित अनेक स्कूलों को सेनिटाइज किया गया. हालांकि अब मनपा आयुक्त ने कोरोना के दोबारा बढ़ते हुए खतरे को देखते हुए 13 दिसंबर तक शालाओं को बंद रखने का आदेश जारी कर दिया है. वैसे भी सिटी में 60 फीसदी पैरेन्ट्स अपने बच्चों को शाला नहीं भेजने के पक्ष में बताये जा रहे थे. उन्हें राहत मिली है.