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  • बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पैरेंट्स खर्च कर रहे रकम

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  • सिटी के जूनियर कॉलेजों में 11वीं की कुल सीटें 
  • 9,660 कला संकाय 
  • 17,000 वाणिज्य
  • 27,460 विज्ञान संकाय 
  • 4,130  MCVC 
  • 59,250 कुल सीटें उपलब्ध 

नागपुर. 10वीं व 12वीं का परिणाम घोषित होने में अभी वक्त है. माह के अंत तक 10वीं सीबीएसई और अगस्त तक स्टेट बोर्ड का परिणाम घोषित हो सकता है. परिणाम की राह देख रहे अनेक स्कूलों ने अभी 11वीं की क्लासेस शुरू नहीं की है, लेकिन कोचिंग और ट्यूशन में स्टडी शुरू हो गई है. इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी करने वाले छात्रों ने तैयारी भी शुरू कर दी है. बच्चों की जिद और कोचिंग-टयूशन की ‘हैंमरिंग’ की वजह से अभिभावक भी परेशान हो गये हैं. कोरोना की वजह से 10वीं की परीक्षा होने के कारण आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक दिये जाएंगे. इसी आधार पर छात्रों की अंकसूची तैयारी होगी. नीट और जेईई, सीईटी की तैयारी करने वाले छात्रों का पूरा फोकस एंट्रेंस पर ही होता है. यही वजह है कि अनेक छात्रों ने अभी से कोचिंग ज्वाइन कर ली है.जिस तरह बोर्ड की तैयारी ऑनलाइन हुई थी, उसी तरह कोचिंग भी ऑनलाइन भी शुरू की गई है. यह ऑनलाइन क्लासेस कब तक रहेगी, यह किसी को भी पता नहीं.

मौका मिलते ही सभी जुटे 

कोरोना की वजह से इस बार ट्यूशन-कोचिंग का करोड़ों के व्यवसाय पर संकट छा गया. यही वजह है कि अब मौका मिलते ही संस्थाएं अपने-अपने तरीके से छात्रों की भीड़ जुटाने में जुटी हुई है. इसके लिए पालकों को तरह-तरह के प्रलोभन भी दे रहे हैं. मित्र, सहपाठी द्वारा कोचिंग ज्वाइन किये जाने की वजह से बच्चे भी अपने-अपने पालकों को परेशान कर रहे हैं. यह सच है कि ऑनलाइन स्टडी में सभी कांसेप्ट क्लियर नहीं होते. इसके बावजूद बच्चों की जिद के आगे अभिभावक भी मजबूर है. कुछ कोचिंग-ट्यूशन शुरू हो गये हैं, जबकि कुछ जगह मध्य जुलाई या फिर अगस्त से क्लासेस शुरू होगी. कोरोना की तीसरी लहर की संभावना व्यक्त की जा रही है. इस हालत में अगले 2-3 महीने तक ऑफलाइन स्कूल-जूनियर कॉलेज और कोचिंग शुरू होने की संभावना कम ही है. यानी अगले 2-3 महीने तक छात्रों को ऑनलाइन ही क्लासेस करना होगा. 

11वीं की प्रवेश प्रक्रिया पर अस्पष्टता 

11वीं प्रवेश प्रक्रिया के बारे में अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है. पिछले दिनों शिक्षामंत्री ने 11वीं प्रवेश के लिए सीईटी की घोषणा की थी लेकिन किस तरह होगी और कौनसी एजेंसी लेगी यह अब तक तय नहीं हुआ है. जिन पालकों की कोचिंग-ट्यूशन में रुचि नहीं है, वे इंतजार कर रहे हैं. इस बार कोचिंग-टयूशन वाले ने भी शुल्क में वृद्धि की है. लग रहा है कि कोरोना काल में हुये नुकसान की भरपाई अब छात्रों से की जा रही है. कोचिंग-ट्यूशन वालों ने भी प्रवेश लेने के लिए पालकों को परेशान कर रखा है. बार-बार संपर्क कर कोचिंग लगाने के लिए प्रवृत किया जा रहा है जो पालक खर्च करने को तैयार है, वहीं बच्चों को ट्यूशन-कोचिंग लगाने में रुचि ले रहे हैं. जबकि कई पालक ऐसे भी हैं जो कोरोना काल की स्थिति का अनुमान लगाने के बाद बच्चों को ऑफलाइन क्लासेस लगाने का विचार कर रहे हैं. फिलहाल यह तय नहीं है कि अगले सत्र की स्थिति कैसे रहेगी. कितना सिलेबस कम होगा. परीक्षा का पैटर्न क्या रहेगा. लेकिन तमाम सवालों की फिक्र किये बिना बच्चों के बेहतर भविष्य को देखते हुए पालक ‘इन्वेस्ट’ करने में लगे हैं.