Government relaxes corona restrictions in Mizoram, schools-colleges and religious places will reopen
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  • दुर्बल घटक समिति का अजीबोगरीब फैसला
  • 10,780 छात्रों को लाभ मिलने का दावा

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नागपुर. कोरोना महामारी का दूसरे चरण की लहर आने की आशंका के चलते अब तक मनपा क्षेत्र में स्कूलों को शुरू करने की अनुमति भले ही नहीं दी गई हो, किंतु दुर्बल घटक समिति की ओर से अजीबोगरीब प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर स्कूल बैग और वॉटर बॉटल वितरण का निर्णय लिया गया है.

सोमवार को मनपा मुख्यालय में दुर्बल घटक समिति की बैठक हुई. जिसमें सभापति गोपीचंद कुमरे और अन्य सदस्यों सहित प्रभारी उपायुक्त अमोल चौरपगार और शिक्षणाधिकारी प्रीति मिश्रीकोटकर भी उपस्थित थे. हालांकि वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के माध्यम से ही इस बैठक का आयोजन हुआ, किंतु किसी भी अधिकारी की ओर से इस संदर्भ में तकनीकी पेंच का खुलासा नहीं किया गया और प्रस्ताव को दी गई. मंजूरी के अनुसार दुर्बल घटक के लगभग 10,780 छात्रों को इसका लाभ मिलने का दावा किया गया है.

14 लाख रु. खर्च होने की संभावना

बताया जाता है कि प्रति वर्ष मनपा स्कूल में शिक्षा ले रहे पिछड़े वर्ग के छात्रों को इस तरह का वितरण किया जाता है. मनपा के स्कूलों में 1ली से 12वीं तक कुल 19,330 छात्र शिक्षाग्रहण कर  रहे हैं. जिसमें से 10,780 छात्र पिछड़ा वर्ग से आते हैं. इन छात्रों को स्कूल बैग, वॉटर बॉटल  और अन्य शैक्षणिक सामग्री का वितरण किया जाना है. प्रति छात्र 500 रु. का खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है. जिसके अनुसार सभी छात्रों के लिए कुल 14 लाख रु. का खर्च होने की संभावना है. उक्त खर्च शिक्षा विभाग के माध्यम से होने की जानकारी शिक्षणाधिकारी प्रीति मिश्रीकोरटकर ने दी. सूत्रों के अनुसार एक ओर खर्च तो शिक्षा विभाग की ओर से किया जा रहा है, लेकिन खर्च के प्रस्ताव पर दुर्बल घटक समिति की ओर से निर्णय लिया जा रहा है, जबकि मनपा में शिक्षण सलाहकार समिति भी है. 

वितरण शीघ्र शुरू करने के भी निर्देश

वर्तमान परिस्थितियों पर किसी तरह का भी ध्यान दिए बिना सभापति कुमरे की ओर से स्कूल बैग और वाटर बॉटल का वितरण शीघ्र शुरू करने के भी निर्देश विभाग को जारी किए गए. इस तरह से जारी निर्देशों को लेकर विभाग में ही असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ अधिकारियों का मानना है कि अब तक स्कूल शुरू करने को लेकर ही निर्णय नहीं हो पाया है. ऐसे में इसका वितरण शीघ्र शुरू होना निकट काल में संभव नहीं है. हालांकि दुर्बल घटक के छात्रों को इस तरह से सामग्री का वितरण हर वर्ष होता है, लेकिन वर्तमान कोरोना महामारी के संकट को देखते हुए फिलहाल कई तरह की व्यवस्था पर ही संकट है.