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    नागपुर. कोरोना को लेकर विस्फोटक होती स्थिति के मद्देनजर शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल प्रशासन ने बुधवार को आदेश जारी कर नान कोविड मरीजों को अत्यावश्यक होने पर ही शस्त्रक्रिया करने और अत्यावश्यक होने पर ही भर्ती करने को कहा है. कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मेडिकल में मैन पावर की कमी गंभीर समस्या बन गई है. लेकिन इससे सवाल भी खड़े हो गये हैं कि आखिर निर्धन-जरुरतमंद मरीज जाएगे कहां.

    मनपा प्रशासन शुरूआत से ही कोरोना के इलाज को लेकर अपनी जिम्मेदारी से हाथ झटकती है. मेयो, मेडिकल एम्स पर समूचा भार डाल दिया गया. डाक्टर,नर्स सहित समूचा पिछले एक वर्ष सतत सेवा में लगा हुआ है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के दूसरे फ्लो के संकेत को प्रशासन ने भी नजरअंदाज किया. 3-4 महीनों का वक्त मिला, लेकिन उसमें केवल कागजी घोषणा की गई. अब स्थिति यह हो गई है कि मेडिकल, मेयो और एम्स कोरोना मरीजों से हाऊस फुल हो गये हैं.

    मेडिकल में जितने कोरोना के मरीज हैं, उतने नॉन कोविड मरीज भी भर्ती है. हर दिन 30-40 सर्जरी होती है. लेकिन अत्यावश्यक मरीजों को भी भर्ती करने संबंधी आदेश जारी होने के बाद निर्धन व जरुरतमंद कहां जाएगे यह सवाल खड़ा हो गया है. अब नागरिक प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से जवाब मांग रहे हैं.  

    मेडिकल में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने से नॉन कोरोना वार्डों में कार्यरत नर्सों सहित अन्य स्टाफ की कमी होने लगी है. यही वजह है कि मोतिबिंदु सहित अन्य माइनर शस्त्रक्रिया संभव हो तो उसे आगे बढ़ाया जा सकता है. जिससे वहां कार्यरत डॉक्टर व कर्मचारियों को कोरोना सेवा में लगाया जा सकता है. इसके बावजूद नॉन कोरोना मरीजों का इलाज और शस्त्रक्रिया शुरू रहेगी. 

    – डॉ. सुधीर गुप्ता, अधिष्ठाता, मेडिकल.