नागपुर. हाई कोर्ट की ओर से एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद विशेष रूप से स्पीड ब्रेकर को लेकर आदेश जारी किए थे. यहां तक कि फैसले में राष्ट्रीय महामार्ग पर भी स्थित सभी स्पीड ब्रेकर्स तुरंत प्रभाव से हटाने के आदेश कोर्ट द्वारा दिए गए थे. इन आदेशों का पालन नहीं किए जाने से आर.पी. जोशी द्वारा हाई कोर्ट की अवमानना को लेकर याचिका दायर की गई.
याचिका पर सुनवाई के दौरान एनएचएआई की ओर से अदालत को बताया गया कि पुख्ता पुलिस बंदोबस्त में राष्ट्रीय महामार्ग से स्पीड ब्रेकर हटाना पड़ा है. एनएचएआई की ओर से पूरे मसले पर स्पष्टीकरण दिए जाने के बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश जी.ए. सानप ने याचिका का निपटारा कर एनएचएआई को अवमानना से राहत दी.
स्पीड ब्रेकर हटाने का भारी विरोध
एनएचएआई के विभागीय अधिकारी की ओर से दायर हलफनामा में बताया गया कि चूंकि स्पीड ब्रेकर को हटाने का स्थानीय लोगों की ओर से जमकर विरोध किया गया. अत: इसे निरस्त करने के लिए पुख्ता पुलिस बंदोबस्त मांगा गया था. पुलिस बंदोबस्त मिलने के बाद ही इसे हटाया जा सका है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि निश्चित ही ध्यानाकर्षित करने के बाद स्पीड ब्रेकर को तो हटाया गया लेकिन जमीन को समतल करने की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई जिससे स्पीड ब्रेकर हटाने के बाद अब राष्ट्रीय महामार्ग क्रमांक 44 पर गड्ढा बन गया है. याचिकाकर्ता की ओर से स्वयं अधि. जोशी और एनएचएआई की ओर से अधि. अनिश कठाने ने पैरवी की.
16 वर्ष बाद आदेशों का पालन
एनएचएआई की ओर से इस संदर्भ में पुन: अतिरिक्त शपथपत्र दायर किया गया जिसमें बताया गया कि रोड को समतल करने की प्रक्रिया पूरी की गई है. यहां तक कि विभाग की ओर से की गई कार्यवाही को लेकर अदालत के समक्ष फोटो भी प्रस्तुत किए गए. इस पर अदालत ने कहा कि जनहित याचिका पर वर्ष 2005 में दिए गए आदेशों का अब पूरी तरह पालन किया जा चुका है. जानबूझकर आदेश का पालन नहीं किया गया हो ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है. अत: आदेशों का अब पालन होने से याचिका को बनाए रखने का औचित्य नहीं है जिससे याचिका का निपटारा कर दिया.