Pravin Darekar

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नागपुर. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस भारत समेत दुनियाभर के अन्य देशों में कहर मचा रही हैं। इस महामारी को रोकना सबके लिए चुनौती भरा है। अगर भारत की बात करें तो यहां कोरोना का प्रसार रोकने के लिए केंद्र सरकार समेत सभी राज्य सरकारें अथक प्रयास कर रहीं हैं। फिलहाल देश में 25 मार्च 2020 से लॉकडाउन हैं, जिससे काफी हद तक स्थिति काबू में हैं। लेकिन फिर भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह एक चिंता का विषय हैं। इस कोरोना महामारी के दौरान और पश्च्यात सरकार को किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता हैं, इस विषय पर गहन चर्चा करने के लिए ‘नवभारत e-चर्चा’ में आज महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर उपस्थित थे। इस दौरान उन्होंने काफी सरल तरीके से अपने विचार व्यक्त किए।

प्रवीण दरेकर ने कहा कि कोरोना वायरस सबके लिए चुनौती हैं। वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरे देशों के मुकाबले कोरोना से अच्छे तरीके से लड़ रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार भी कोरोना से लड़ने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन उसमें कुछ कमी आयी हैं। जिससे भारत भर में जितने कोरोना मरीज हैं उसमें से 35 प्रतिशत मरीज महाराष्ट्र में हैं। जिसमें से करीब 40 प्रतिशत मरीजों की मौत हो चुकी हैं। इसका दोष हम सरकार पर नहीं डाल सकते, लेकिन जिस तरह से कोविड-19 की शुरुआत हुई तभी से व्यापक दृष्टिकोण से उसकी व्यवस्था होती तो हम कोरोना के मरीजों और मौतों की संख्या कम कर सकते थे। उन्होंने कहा जिस तरह से आज हम डॉक्टर्स, नर्सेज उपलब्ध करवा रहे हैं, उसी तरह जब हमें कोविड-19 का पहला मरीज मिला तभी हमने कन्टेंटमेंट ज़ोन की शिनाख़्त करके एक इलाके में टेस्टिंग का मुहिम चलाकर कार्य करना था, राष्ट्रिक कार्यक्रम करके हमें सफलता मिलती थी। 

दरेकर ने कहा कि कोविड-19 के कारण देश में व्यवस्था बिघड गई हैं। लेकिन इसमें सबसे ज्यादा ख़राब परिस्थिति महाराष्ट्र में हैं। जिसमें सबसे ज्यादा मुंबई प्रभावित हुआ हैं। क्योंकि मुंबई में देश के विभिन्न हिस्सों से आए मज़दूर हैं। ऐसी स्थिति में मज़दूरों के जाने, खाने का इंतजाम महत्वपूर्ण हैं। वहीं हमने अभी देखा कि मज़दूर अपने गृहराज्य की ओर पैदल निकले। इसमें कुछ मज़दूरों की रास्ते में ही मौत हो गई। इसमें कमी है, लेकिन सरकार ने अपनी क्षमता से इस परिस्थिति से लड़ने का प्रयास किया। 

दरेकर ने आगे देश की अर्थव्यवस्था पर बात करते हुए कहा कि, देश की अर्थव्यवस्था पर कोरोना का जो विपरीत परिणाम हो रहा हैं यह हमारे लिए बड़ी चुनौती हैं। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परिस्थिति में अर्थव्यवस्था के लिए आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लाया। कोरोना के इस संकट में भी हमारे पास संधी हैं। इसमें स्वदेशी के तहत यहां का प्रोडक्शन यहां करके यहां के लोगों के लिए काम, यहां के उद्योग, इंडस्ट्रीज़ बढ़ाना, अपनी व्यवस्था आत्मनिर्भर होना हैं। आगे दरेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ घोषणा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सबसे पहले 1 लाख 70 हजार करोड़ का गरीब कल्याण का पैकेज दिया। उसके बाद 20 लाख करोड़ का पैकेज दिया। और इसमें सब लोगों को समाविष्ट करने का प्रयास किया। राज्य सरकार के कई लोग राजनीतिक भावना से केंद्र सरकार पर टिप्पणी करते है कि केंद्र सरकार ने क्या दिया? इसका जवाब स्वयं देवेंद्र फडणवीस ने 28 हजार करोड़ रूपये कैसे आए इसका विवरण दिया। उन्होंने कहा केंद्र सरकार ने बहुत सारा दिया हैं। इस परिस्थिति में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के साथ अच्छा समन्वय बनाकर, अहंकार और राजनीति को दूर रखकर काम करना चाहिएं। 

मुंबई की स्वास्थ्य विभाग की परिस्थिति के बारें में दरेकर ने कहा कि मुंबई में स्थित ब्रिटिशकालीन अस्पताल के कारण मुंबई आज चल रही हैं। इस तरह के बड़े अस्पताल की जरुरत थी। लेकिन जब तक संकट आता नहीं तब तक अगले 10-20 साल के बाद क्या चाहिएं यह दृष्टी राजनितिक नेताओं में नहीं हैं। सौभाग्य से नरेंद्र मोदी से लेकर अलग नेतृत्व इस देश मिला हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री होने के बाद अगले 25 साल में क्या चाहिए उसपर उन्होंने काम शुरू किया। आज आप देख सकते हैं कि देश में बड़े-बड़े अस्पताल बनने जा रहे हैं। साथ ही हजारों बेड्स का अस्थायी हॉस्पिटल बना। अगर हम आज इतने बेड्स उपलब्ध करवा रहे हैं वहीं हमें दो महीने पहले उपलब्ध करवाने में कोई हर्ज नहीं था। आज शीघ्र गति से काम करने की आवश्यकता हैं। उन्होंने कहा आज भी बेड्स के लिए आंदोलन हो रहे हैं, कोरोना योद्धा, पुलिस कोरोना संक्रमित हो रहे और मर रहे हैं। 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि महाराष्ट्र को आर्थिक संकट से बहार आने के लिए वक्त लगेगा। केंद्र सरकार ने छोटे, मध्यम और बड़े इंडस्ट्री को आर्थिक पैकेज का प्रावधान करके उनको अपने पैरों पर खड़े होने का मौका दिया हैं। कृषि उद्योग आज पूरी तरह से ठप हो गए हैं। किसानों पर कर्ज हैं और काम करने की क्षमता नहीं रही। यह समय किसानों को ताकत देने का हैं। आज भी कपास पूरा नहीं लिया जा रहा हैं। ऐसी स्थिति में किसानों को भरोसा दिलाना चाहिएं। 

दरेकर ने प्रवासी मज़दूरों के मुद्दे पर कहा कि महाराष्ट्र की इंस्ट्रीज में मजदूरों का बड़ा योगदान हैं। यह कोई भी टाल नहीं सकता। मज़दूर जाने से बड़ा ख़ालीपन इस इंडस्ट्री में पैदा हुआ हैं। सभी मजदूरों का सम्मान के साथ महाराष्ट्र में स्वागत करना होगा। उन्हें भी मुंबई की मिट्टी से उतना ही प्यार हैं जितना हमें हैं। वह जरूर वापस आएँगे, लेकिन इसके लिए समय लगेगा। मज़दूरों के गृहराज्य में काम मिलना मुश्किल हैं और वहा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना इतना आसान नहीं हैं।