RTMNU, nagpur University

  • जल्द ही विवि जारी करेगा दिशा-निर्देश

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नागपुर. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मापदंडों को नजरअंदाज कर आरटीएम नागपुर विवि द्वारा पीएचडी के संबंध में सख्त नियम व शर्तें लागू की थी, अब यह खुलासा होने लगा है. नियमों को शिथिल करने के लिए गठित की गई तीन समिति सदस्यों की सप्ताहभर के भीतर बैठक होगी. सुधारित नियमों के साथ नये दिशा-निर्देश जारी करने का निर्णय विद्वत परिषद की बैठक में लिया गया.

विवि अनुदान आयोग ने २००९ में जारी दिशानिर्देश के आधार पर विवि ने २०१५ से पीएचडी में बड़ा बदलाव किया. इसके अनुसार पीएचडी रजिस्ट्रेशन के लिए पेट परीक्षा की शुरुआत की गई. दो वर्ष बाद विषय निहाय पेट-2 परीक्षा शुरू की गई. दो परीक्षाएं होने से उत्तीर्ण होने वालों की संख्या कम हुई. खासतौर पर हयुमिनिटी संकाय के उम्मीदवारों की दिक्कतें बढ़ गई. तमाम शिकायतों के बाद सीनेट सदस्य आर.जी. भोयर की अध्यक्षता और प्रा पेशवे की अध्यक्षता में दो समिति तैयार की गई.

समिति ने पीएचडी की सख्त शर्तों में बदलाव कर नई सिफारिशों का समावेश किया है. मार्च में हुई बैठक में इन सिफारिशों की रिपोर्ट को चर्चा के लिए रखा गया था. रिपोर्ट में 32 सिफारिशों का समावेश किया गया. सभी सिफारिशें मान्य भी की गई. लेकिन तत्कालीन उपकुलपति काणे के कार्यकाल में कार्यवाही नहीं हो सकी.

गुरुवार को आयोजित विद्वत परिषद की बैठक में दोनों समिति के अलवा अनंत पांडे की समिति की भी रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही दिशानिर्देश जारी करने का निर्णय लिया गया. सुधार के तहत पीएचडी मार्गदर्शक बनने के लिए 3 वर्ष की शर्त रद्द करने, पीएचडी मिलने के बाद मार्गदर्शक का दर्जा, शोधप्रबंध प्रस्तुत करने के महीनेभर के भीतर ‘व्हायवा’ लेने, मान्यताप्राप्त स्नातकोत्त प्राध्यापकों को मार्गदर्शक बनाने और एम.फील धारकों के लिए कोर्स वर्क की शर्त को रद्द करने आदि का समावेश है.