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    नागपुर. यूजीसी ने नए सत्र की तैयारी करने के लिए अभी से काम शुरू कर दिया है. अगले सत्र में कोरोना की क्या स्थिति होगी, पढ़ाई कैसी होगी इस पर चिंता जाहिर करते हुए यूजीसी ने यूनिवर्सिटी को पत्र लिखकर अपने प्रस्ताव पर सुझाव मांगा था. जिसमें ये कहा गया कि आने वाले नए सत्र में कॉलेजों की पढ़ाई नए पैटर्न पर होगी. जिसमें 40 प्रतिशत सिलेबस ऑनलाइन और 60 प्रतिशत सिलेबस को ऑफलाइन पढ़ाया जाएगा.

    इस पर तमाम यूनिवर्सिटियों ने यूजीसी को अपने सुझाव भेजे हैं. लेकिन अगर इस प्रस्ताव पर यूनिवर्सिटी हां करती है तो ये सिटी के छात्रों के लिहाज से तो अच्छा प्रस्ताव साबित होगा. लेकिन उन ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के लिए समस्या उत्पन्न करेगा जिस गांव में नेटवर्क की समस्या है या फिर जिन छात्रों के पास मोबाइल फोन नहीं है. ऐसे में यूनिवर्सिटी का सुझाव जिले के छात्रों के लिए काफी मायने रखता है. 

    कॉलेजों को तैयारी करने के संकेत

    माना जा रहा है कि यूजीसी का प्रस्ताव लगभग फाइनल है. यूनिवर्सिटी ने जो सुझाव भेजे होंगे, वहीं देशभर के यूनिवर्सिटियों से आने वाले सुझावों पर चर्चा करने के बाद इसे लागू किया जाएगा. लेकिन चर्चा ये है कि लगभग सभी वीसी यूजीसी के इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा चुके हैं. वहीं कॉलेजों को भी इसके लिए अभी से तैयार रहने के संकेत भी दे दिए गए हैं. 

    नेटवर्क और मोबाइल की समस्या गंभीर

    ऑनलाइन 40 प्रतिशत सिलेबस को पढ़ना ग्रामीण और गरीब छात्रों के लिए गंभीर समस्या है. जिले में कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्र है जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है, वहीं  जिसके पास है तो बैलेंस नहीं है. इन सब समस्या को अगर हल कर लें तो एक बड़ी समस्या नेटवर्क की भी है. जिले के कई ऐसे गांव है जहां नेटवर्क की समस्या है. ऐसे में ग्रामीण और गरीब क्षेत्र के स्टूडेंट्स कैसे अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे.

    स्थिति जो भी हो, तैयार रहेगा यूजीसी

    यूजीसी की मानें तो आने वाले समय में कोरोना का संक्रमण कितना कम होगा या कितना ज्यादा होगा कुछ नहीं कहा जा सकता है. इसके लिए सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अभी से अपनी तैयारी करनी होगी. यूजीसी ने एकेडमिक सेशन 2021 से सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में 40 फीसदी पाठ्यक्रम की पढ़ाई ऑनलाइन कराने का सुझाव दिया है. वहीं बाकी 60 फीसदी पाठ्यक्रम कॉलेजों में ऑफलाइन पढ़ाने का सुझाव दिया है. यूजीसी का कहना है कि स्थिति जो भी लेकिन हमारी तैयारी हर क्षेत्र में पूरी है.

    कोरोना के कारण बनाया गया प्रस्ताव

    यूजीसी ने कोरोना के इस संक्रमण काल में छात्रों की पढ़ाई को देखते हुए यह प्रस्ताव तैयार किया है. पिछले दो सत्रों में कोरोना के कारण छात्रों की पढ़ाई अच्छे से नहीं हो सकी है. लेकिन इस सत्र में छात्रों की तैयारी प्रभावित न हो इसके लिए यूजीसी अभी से मशक्कत कर रहा है. हालांकि यूजीसी का यह फैसला ग्रामीण और गरीब छात्रों को जरूर परेशान कर सकता है. 

    6 जून तक भेजना था यह ड्राफ्ट

    यूजीसी ने ड्राफ्ट तैयार कर यूनिवर्सिटी से सुझाव मांगे थे. इसके लिए 6 जून तक तारीख निर्धारित की गई थी. इस संबंध में यूनिवर्सिटी से जानकारी नहीं मिली की उन्होंने यूजीसी को क्या राय दी है. लेकिन यूजीसी की मानें तो प्रस्ताव पर अंतिम मुहर यूजीसी की ही लगेगी. इसके लिए सुझाव की यूजीसी समीक्षा करेगी. इसके आधार पर दोनों प्रारूपों में परीक्षा ऑनलाइन माध्यम से ली जा सकेगी. नई शिक्षा नीति के तहत तैयार इस ड्राफ्ट का मदद से स्टूडेंट्स को बेहतर ढंग से सीखने के साथ ही दूसरों से भी सीखने का मौका मिलेगा.