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  • सेवाएं समाप्त करने पर जताया रोष

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नागपुर. मनपा की शहर में चल रहीं विभिन्न योजनाओं में आवश्यकता के अनुसार 27 मई 2019 को अस्थायी तौर पर लगभग 56 इंजीनियरों की नियुक्ति की गई थी. किंतु अब एक ओर कोरोना का संकट तो दूसरी ओर अचानक सेवाएं समाप्त किए जाने से बेरोजगारी की चपेट में आए इन इंजीनियरों ने रोष जताते हुए सोमवार को मनपा मुख्यालय में जमकर प्रदर्शन किया गया.

निषेध जताते हुए इन अस्थायी कर्मचारियों (कान्ट्रैक्ट कर्मी) की ओर से कम से कम कोरोना के इस संकटकाल में सेवाएं समाप्त करने का आदेश वापस लेने की मांग की गई. विशेषत: अचानक सेवाएं समाप्त किए जाने की कर्मचारियों की ओर से सूचना मिलते ही महापौर संदीप जोशी भी मनपा मुख्यालय पहुंचे. जहां इन कर्मचारियों का समर्थन करते हुए सेवाएं जारी रखने की मांग मनपा आयुक्त मुंढे से की.

कार्यकाल बढ़ाने का स्थायी समिति ने ठुकराया प्रस्ताव
उल्लेखनीय है कि कोरोना के मद्देनजर लॉकडाउन के चलते भले ही महानगरपालिका में सीमित संख्या में कर्मचारियों से काम कराया जा रहा हो, लेकिन कुछ कर्मचारियों की आवश्यकताओं को देखते हुए मनपा प्रशासन की ओर से गत कुछ काल से चले आ रहे अस्थायी ठेका कर्मचारियों के सेवाकाल को बढ़ाने के उद्देश्य से स्थायी समिति के समक्ष प्रस्ताव प्रेषित किया था. यहां तक कि स्थायी समिति के समक्ष प्रस्ताव भेजने से पहले ही प्रशासन की ओर से इसे मंजूरी देकर केवल कार्योत्तर मंजूरी के लिए प्रस्ताव रखे जाने की जानकारी समिति को दी थी, किंतु स्थायी समिति की बैठक में इस तरह से कार्योत्तर मंजूरी के लिए लाए गए प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताते हुए मंजूरी देने से इंकार कर दिया. प्रस्ताव को ठुकराए जाने के कारण न केवल इन इंजीनियरों बल्कि अलग-अलग विभागों में कार्य कर रहे अस्थायी ठेका कामगारों की सेवाएं रद्द हो गईं.

भविष्य में भी न लाएं ऐसे प्रस्ताव
विशेषत: सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से अग्निशमन विभाग में 11 सेवानिवृत्त ठेका फायरमैन कर्मचारियों की सेवाएं 4 माह तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया था. प्रस्ताव में ही 9 अप्रैल 2020 को सेवाकाल बढ़ाने के संदर्भ में आदेश भी संबंधित कर्मचारियों को भेजे जाने की जानकारी भी दी गई थी. इसी तरह विभिन्न योजनाओं के लिए आवश्यक अभियंताओं का सेवाकाल भी बढ़ाने तथा इसके लिए आवश्यक निधि के प्रावधान को मंजूरी दिए जाने की जानकारी प्रस्ताव में दी गई थी.

प्रशासन की ओर से पहले ही निर्णय लेने के बाद कार्योत्तर मंजूरी के लिए भेजे गए प्रस्ताव पर कड़ी नाराजगी जताते हुए स्थायी समिति ने समिति की पूर्व अनुमति न लेकर विभाग की ओर से पहले ही मान्यता देने पर जमकर खिंचाई की थी. साथ ही नियम और कानून स्वयं स्पष्ट होने का हवाला देते हुए प्रस्ताव मंजूर करने से इंकार कर दिया. यहां तक कि भविष्य में इस तरह के प्रस्ताव नहीं भेजने के निर्देश भी प्रशासन को दिए थे.