नागपुर. स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित की जा रही ऑरेंज सिटी में आवारा मवेशियों के लिए कोई ठोस नीति नहीं दिखाई दे रही. कई जानवर सड़कों पर दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. छत्रपति मेट्रो स्टेशन के सामने गाय के एक बछड़े को किसी बाइक सवार से जोरदार टक्कर लगी. बछड़ा और बाइक सवार दोनों बुरी तरह जख्मी हो गये. बाइक सवार तो जैसे-तैसे कुछ देर बाद अपना वाहन लेकर निकल गया लेकिन बछड़े ने करीब 1 घंटे तक तड़पते हुए दम तोड़ दिया. पता चला कि वर्धा रोड पर छत्रपति चौक की ओर जाने वाली लेन पर गायों का झुंड चल रहा था. इस झुंड में उक्त बछड़े से बाइक सवार टकरा गया. शहर के सड़कों पर आवारा घूम रहे मवेशियों के मालिकों से महानगर पालिका भी परेशान हो चुकी है.
सिर्फ दूध दोहने तक का नाता
कुछ जागरूक नागरिकों की अपील पर महानगर पालिका का पशु रुग्णवाहिका मौके पर पहुंची लेकिन तब तक बछड़े की मौत हो चुकी थी. वाहन से उतरे मनपा कर्मचारी ने बताया कि इन दिनों पूरे दिन ही सड़कों पर पालतु मवेशियों के जख्मी होने और मरने के कॉल आ रहे हैं. हम पूरा दिन ही यह काम कर रहे हैं. हम भी ऐसे लापरवाह मवेशी पालकों से परेशान है. मनपाकर्मी ने बड़े दुख के साथ कहा कि मवेशी पालकों को इनकी जान से कोई वास्ता नहीं है. वो तो सिर्फ दूध दोहने का नाता रखते हैं. इसे बाद उन्हें सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं और ये बेजुबान किसी वाहन के नीचे आकर दम तोड़ देते हैं.
मवेशी पालक पर हो FIR
इन दिनों शहर के हर कोने में सीमेंट की सड़कें, अंडरग्राउंड इलेक्ट्रिक लाइन, अपडेटेड वाटर लाइन, वाई-फाई जैसे कार्यों से शहर को स्मार्ट बनाने का काम किया जा रहा है. लेकिन सड़कों पर आवारा मवेशियों के झुंड दिखाइे देते हैं. शहरवासियों को बेहतर सड़क और दुर्घटनों की संख्या में कमी लाने के उद्देश्य से सीमेंट की गड्ढे रहित सड़कें बनाई जा रही हैं. दूसरी ओर सड़कों पर मजमा लगाकर बैठे यह मवेशी ही दुर्घटना का कारण बन रहे हैं. इनमें कभी मवेशी की जान जाती है तो कभी वाहन चालक की. जान किसी की भी जाये, मौत तो होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस मौत का जिम्मेदार कौन? ऐसे में मवेशी मालिकों पर एफआईआर दर्ज कर दुर्घटना का जिम्मेदार बनाना चाहिए, क्योंकि मवेशियों को नहीं पता कि उन्हें कहां बैठना है और कहां नहीं. दूसरी तरफ कोई वाहन चालक जानबुझकर मवेशियों के झुंड तो घुसेगा नहीं.
अतिक्रमण जैसा एक्शन क्यों नहीं
शहर की मनपा को अतिक्रमण उन्मूलन दस्ता हर दिन किसी न किसी हिस्से में कार्रवाई करता है. ताकि सड़क के किनारे या बाजार में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा न हो. साथ ही अतिक्रमण करना गैरकानूनी भी है. ऐसे में पालतु मवेशियों पर खुला छोड़ना भी गैरकानूनी है तो फिर मनपा द्वारा आवारा मवेशियों को लेकर भी अतिक्रमण उन्मूलन के समान युद्धस्तर पर अभियान क्यों नहीं चलाती. जानकारी के अनुसार शहर में करीब 1,181 मवेशी पालक हैं. जबकि इनमें से केवल 60 प्रतिशत के पास ही मवेशियों को रखने को गोठा आदि बना हुआ है. बाकी 40 प्रतिशत लोग अपने मवेशियों को चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं. यह मवेशी जहां-तहां शौच करते गंदगी तो फैलाते ही है, सड़कों पर दुर्घटनाओं का कारण भी बनते हैं.
1,181 मवेशी पालक सिटी में
60% के पास अपना गोठा नहीं