Platform Nagpur Station
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    नागपुर. स्टेशन पर रविवार सुबह 11.10 बजे प्लेटफार्म 2 से चल रही ट्रेन 02792 दानापुर-सिकंदराबाद एक्सप्रेस में एक 34 वर्षीय महिला यात्री सविता चढ़ने के प्रयास में गिर पड़ी. सीने और कंधे में अंदरूनी चोटें लगने से 2 घंटे बाद सविता ने मेयो में दम तोड़ दिया. सफर के दौरान उसके साथ 7 और 10 वर्ष के 2 मासूम बच्चे भी थे. देखते ही देखते दोनों बच्चों ने अपनी मां को खो दिया. पहली बार में यह घटना भारतीय रेलवे स्टेशनों पर होने वाली आम बात नजर आती है. साथ ही घटना का जिम्मेदार भी सविता को ही कहा जायेगा क्योंकि वह चलती ट्रेन में चढ़ने का प्रयास कर रही थी लेकिन क्या वाकई इस दुर्घटना की जिम्मेदार सविता ही थी या फिर यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन थी जिसमें एक साथ कई लोग दरवाजे पर खड़े होकर सफर कर रहे थे या फिर भारतीय रेलवे जो कोविड काल में कन्फर्म टिकट पर ही सफर के नियमों का स्वयं ही पालन नहीं कर पा रही?

    रेल मंडल नहीं मान रहे बोर्ड का आदेश

    नागपुर स्टेशन पर एक सप्ताह में करीब 16 ट्रेनें उत्तर भारत से नागपुर पहुंचती हैं और यहां से दक्षिण भारत की ओर जाती हैं. इनमें दानापुर, पटना, गोरखपुर आदि स्टेशनों से शुरू होने वाली ट्रेनें हैं. कोरोना संक्रमण को देखते हुए रेलवे ने केवल कन्फर्म टिकटधारी यात्रियों को ही सफर की अनुमति दी है लेकिन यह नियम बिहार और यूपी से आने वाली ट्रेनों में लागू नहीं होता. पहले स्टेशन से ही ट्रेनों में पैर रखने तक की जगह नहीं रहती. एक कोच में 90 सीटें होती हैं जबकि यात्रियों संख्या 150 से अधिक. क्या उत्तर भारत के रेल मंडल ही रेलवे बोर्ड के आदेश को नहीं मान रहे और तय क्षमता से कहीं अधिक यात्रियों को ट्रेनों में सवार होने दिया जा रहा है? वापसी में भी ट्रेनों का यही हाल रहता है. 

    कोरोना की सुपर स्प्रेडर ट्रेनें

    कोरोना काल से पहले भी इन ट्रेनों का यही हाल था. अब भी इन ट्रेनों में बड़ी संख्या में बेटिकट यात्री सफर कर रहे हैं. नागपुर तक पहुंचने में ये ट्रेनें कई बड़े स्टेशन पार करती हैं लेकिन हर जगह टीसी द्वारा पेनल्टी वसूली कर इतिश्री कर ली जाती है. नागपुर स्टेशन पर भी यही होता है. ऐसा लगता है कि रेलवे ने अपने पेनल्टी टारगेट को पूरा करने के लिए इन ट्रेनों में भीड़ की अनुमति दे रखी है. साफ है कि ट्रेनों में भीड़ ज्यादा होगी तो पेनल्टी की वूसली भी अधिक होगी. फिर चाहे ट्रेनें कोरोना वायरस की सुपर स्प्रेडर ही क्यों न बन जायें.

    कन्फर्म रिजर्वेशन का अर्थ ही क्या

    ऐसा नहीं है कि इन ट्रेनों में सफर करने वाला हर यात्री बेटिकट ही होता है. ट्रेन की हर सीट आरक्षित हो चुकी होती है लेकिन हर कोच में क्षमता से कहीं अधिक यात्री सफर करते हैं. इससे वे यात्री अपने आपको ठगा सा महसूस करते हैं जो बड़ी मारामारी के बाद कन्फर्म टिकट हासिल करते हैं. उनके कन्फर्म रिजर्वेशन का कोई अर्थ नहीं रह जाता. 

    इन ट्रेनों में नहीं रहती पैर रखने की जगह

    03251/52 पाटलिपुत्र-यशवंतपुर-पाटलिपुत्र

    02296/95 दानापुर-बेंगलुरु-दानापुर

    02788/87 दानापुर-सिकंदराबाद-दानापुर

    02792/91 दानापुर-सिकंदराबाद-दानापुर

    02577/78 दरभंगा-मैसूर-दरभंगा

    06360/59 पटना-एर्नाकुलम-पटना

    06510/09 दानापुर-बेंगलुरु-दानापुर

    07052/51 पटना-सिकंदराबाद-पटना

    07609/10 पटना-पूर्णा-पटना

    02521/22 बरौनी-एर्नाकुलम-बरौनी

    05025/26 गोरखपुर-यशवंतपुर-गोरखपुर

    02589/90 गोरखपुर-सिकंदराबाद-गोरखपुर

    02511/12 गोरखपुर-कोचीवली-गोरखपुर

    02591/92 गोरखपुर-यशवंतपुर-गोरखपुर

    02576/75 गोरखपुर-हैदराबाद-गोरखपुर

    05015/16 गोरखपुर-यशवंतपुर-गोरखपुर